करण पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो चंद्रमा आधारित है। एक तिथि में दो करण होतें हैं, पहला करण तिथि के पूर्वार्ध में तथा दूसरा करण उतरार्ध में होता है। सूर्य और चंद्रमा का अंतर ६ होने पर एक करण होता है। कुल मिलाकर ११ करणों की मान्यता है जिसमे से सात करण (बालव, तैतिल, वणिज, बव, कौलव, गर, और विष्टि ) चर प्रकृति के, अर्थात इन करणों की पुनरावृति एक महीने में कई बार होती है। और बाकी चार करण किन्सतुघ्न, शकुनि, चतुष्पद, और नाग, स्थिर प्रकृति के होते हैं। स्थिर करणों में पहला करण किंस्तुघ्न सबसे पहले शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को आता है, एवं बाकी तीन स्थिर करण में शकुनि नामक करण कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के अंतिम अर्धभाग में होता है, इसके बाद अमावस के पहले अर्धभाग में चतुष्पद एवं दुसरे अर्धभाग में नाग करण होता है।
११ करण एवं इनके स्वामी क्रमशः इस प्रकार हैं!
करण स्वामी
१ बव इंद्र
२ बालव ब्रह्मा
३ कौलव सूर्य
४ तैतिल सूर्य
५ गर पृथ्वी
६ वणिज लक्ष्मी
७ विष्टि यम
८ शकुनि कलयुग
९ चतुष्पद रूद्र
१० नाग सर्प
११ किंस्तुघ्न वायु
बव करण
बव करण के बारे में मान्यता है कि ये बाल अवस्था का करण है, श्वेत वस्त्रों को धारण करने वाला है, बव करण का वाहन सिंह है, एवं व्यवहार में समभाव रखने वाला है!
बव करण में जन्मे लोग समाज में अपने कार्यों द्वारा सम्मान प्राप्त करतें हैं! बव करण में जन्मे व्यक्ति का स्वभाव आशावादी होता है ,एवं ये शुभ एवं धार्मिक कार्यों को करने में विशेष रुचि लेतें हैं! बव करण में जन्मे लोगों के स्वभाव में बालपन आजीवन विद्दमान रहता है, अन्य शब्दों में किसी भी कार्य के प्रति समीक्षा के आभाव में कार्य के प्रति रुचि रखतें हैं एवं स्थिर भाव से कार्य के प्रति समर्पित रहतें हैं! बव करण में जन्मे व्यक्ति शुभ कार्यों के प्रति आस्थावान एवं अनैतिक कार्यों के प्रति नकारात्मक भाव रखते हैं! बव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति प्रतापी होता है!
एक अन्य मतानुसार बव करण में जन्मे लोगों का किसी नशे के प्रति झुकाव हो सकता है या ये किसी प्रकार के नशे के आदी आसानी से हो सकते हैं!
बव करण होने पर यात्रा के लिए प्रस्थान एवं प्रवेश शुभ है!
बालव करण
बालव करण के बारे में मान्यता है, कि ये कुमार अवस्था का करण है, पीले वस्त्रों को धारण करने वाला है, एवं बालव करण का वाहन बाघ है!
बालव करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति अत्यधिक जिज्ञासु प्रवृति के होतें हैं एवं इस प्रकार ये अनेक विषयों में ज्ञान वान भी होतें है! बालव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति धार्मिक रूप से अधिक आस्थावान होता है, धार्मिक स्थलों के निर्माण कार्य के लिए योगदान करने का परम इच्छुक होता है, एवं धार्मिक क्षेत्र में उच्च ज्ञान रखने वालों का सत्संग करता है! बालव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अनेक तीर्थ स्थलों की यात्रा करता है! शिक्षा ज्ञान एवं धर्म से जुड़े क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त करने का एक विशेष गुण बालव करण में जन्मे लोगों में होता है !
कौलव करण
कौलव करण के बारे में मान्यता है कि ये करणों में ऊपर की स्थिति प्राप्त करने वाला करण है, हरे रंग के वस्त्रों को धारण करने वाला, कौलव करण आयु में अधिक है एवं इस करण का वाहन सुअर है!
कौलव करण में जन्म लेने वाले लोग मिलनसार स्वभाव के होतें हैं, एवं इनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है, और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें अपने मित्रों से सहयोग प्राप्त होता है!
कौलव करण में जन्मे व्यक्ति का परिवार बड़ा होता है! इस करण में जन्म लेने वाला कई प्रकार के वाहनों से युक्त एवं अच्छे कार्यों को करने में तत्पर होता है, सम्मान की इच्छा में कई प्रकार के यत्न करता है, स्वाभिमानी भी होता है, एवं समाज में निम्न स्तर के लोगों से इस करण में जन्मे व्यक्ति को विशेष सहयोग प्राप्त होता है!
अन्य मतानुसार कौलव करण में जन्मे लोग सामान्यतः छिपे हुए स्वभाव को धारण किये हुए, चंचल स्वभाव, एक से अधिक संख्या में जीवन साथी के अतिरिक्त सम्बन्ध रखने वाले,
अपने समाज की मान्यताओं से विपरीत अन्य समाज एवं धर्मों के प्रति अधिक आकर्षण रखने वाला स्वभाव होता है, खेल तमाशा दिखाने वाला स्वभाव एवं लोगों का मनोरंजन करने में तत्पर, दुष्कर्म प्रिय ,एवं सामान्यतः सुखों से रहित होता है!
कौलव करण मित्रता से सम्बंधित अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला, मान सम्मान प्रसिद्धि एवं कार्यों में सफलता देने वाला होता है!
तैतिल करण
तैतिल करण के बारे में मान्यता है कि ये निष्क्रिय अवस्था में रहने वाला, पीत वस्त्र धारण करने वाला, युवा एवं वाहन करण है!
तैतिल करण में जन्म लेने वाले लोग भाग्यशाली होते हैं एवं अपने जीवन में सुख प्राप्त करते हैं, भाग्यशाली होने के कारण इस करण में जन्मे लोगों को पुरुषार्थ के आभाव में भी अपने सौभाग्य से धन प्राप्त करते हैं!
तैतिल करण में जन्मे व्यक्ति सभी से स्नेह भाव रखतें हैं, एवं अपने निकटजनो से भी सामान्यतः इन्हें प्रचुर मात्रा में स्नेह प्राप्त होता है!
तैतिल करण में जन्मा व्यक्ति मीठी वाणी का प्रयोग करने वाला, अपने कार्यों के प्रति चतुर होता है, एवं उन कार्यों को सिद्ध करने वाला होता है, तैतिल करण में जन्मे लोग, सत्यवक्ता, स्थिर स्वभाव, स्थिर स्वभाव एवं आवश्यकता अनुसार उग्र स्वभाव क्रोधी और शूरवीर पुण्यशील एवं शुभ आचरण एवं स्वभाव वाला होता है!
अन्य मतानुसार तैतिल करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के जीवन में आलस्य कि अधिकता चुगली आदि करने का स्वभाव कामुक स्वभाव एवं जीवन में प्राप्त सौभाग्य का दुरूपयोग दूषित कार्यों के लिए करना भी दृष्टिगत होता है!
गर करण
गर करण के बारे में मान्यता है कि ये नीचे आसीन स्थिति में रहने वाला, लाल वस्त्रों को धारण करने वाला, परिपक्व अवस्था का एवं वाहन गज है!
गर करण में जन्म लेने वाले लोग जीवन में कर्मवादी होते हैं, अपने जीवन काल में कर्म सिद्धांत को ही मान्यता देतें हैं, कृषि एवं भूमि से जुडी वस्तुओं के व्यापार से लाभ प्राप्त करते हैं! गर करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार कि अभिलाषाओं को अपने श्रम से पूर्ण करने में सक्षम होता है, श्रम एवं वैज्ञानिक सोच इनके प्रमुख जीवन सिद्धांत होते हैं! इस करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने जीवनकाल का अधिक समय सामान्यतः अपने परिवार से दूर रहकर व्यतीत करता है!
इस करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति यांत्रिकी एवं गणित का ज्ञान रखते हैं!
अन्य मतानुसार गर करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति मन्त्र शास्त्रों का ज्ञाता होता है, सामान्यतः शत्रुराहित शुभ आचरण और स्वभाव वाला न्यायप्रिय स्वभाव, चतुर,निर्बल, मुखर एवं लड़ाई झगडा करने में आनंद प्राप्त करने वाला होता है!
गर करण में गृह प्रवेश आदि अर्थात वास्तु से जुड़े सभी कार्य एवं पशुओं से जुड़े कार्य शुभ माने जाते हैं!
वणिज करण
वणिज करण के बारे में मान्यता है कि ये नीचे आसीन स्थिति में रहने वाला, लाली का आलेपन करने वाला, पूर्ण आयु का एवं वाहन भैंस है!
वणिज करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति तीव्र बुद्धि युक्त, व्यापारिक एवं व्यवसायिक कार्यों में रूचि लेने वाला एवं व्यवसाय और व्यापार से ही लाभ कि प्राप्ति करने वाला होता है, विदेश यात्रा एवं विदेश से जुड़े व्यापार से लाभ प्राप्त करने वाला होता है!
वणिज करण में जन्मे लोग अपने जीवन में नौकरी की अपेक्षा व्यापारिक गतिविधियों को ही अधिक मान्यता देतें हैं ये व्यापार से जुड़ा ज्ञान स्वतः ही एवं सहज रूप से प्राप्त करते हैं!
अन्य मतानुसार वणिज करण में जन्म लेने वाला कई बार विपरीतलिंग के प्रति आसक्त चित वाला होता है!
वणिज करण व्यवसायी एवं व्यापार करने वालों के लिए कार्यों को आरम्भ करने एवं अन्य व्यवसायिक आवश्यकताओं के लिए प्रयोग किया जा सकता है वणिज करण एक शुभ एवं लाभप्रद करण है!
विष्टि करण
विष्टि करण के बारे में मत है कि नीचे आसीन स्थिति में रहने वाला, काले वस्त्रों को धारण करने वाला, वृद्धा अवस्था का एवं वाहन घोड़ा है!
विष्टि करण में जन्म लेने वाले लोग समाज द्वारा अस्वीकृत कार्यों के प्रति अधिक रूचि लेतें है !असामाजिक कार्यों के प्रति इनकी रूचि में अधिकता के कारण इन्हें जीवन में कई बार मान सम्मान में कमी एवं अपमान का सामना करना पड़ता है!
इस करण में जन्म का एक अशुभ प्रभाव इस करण में जन्मे लोगों पर प्रायः द्रष्टिगत होता है एवं इस प्रकार इस करण में जन्मे लोगों का व्यवहार एवं आचरण सामान्यतः संशय पूर्ण ही होता है!
विष्टि करण में जन्मे व्यक्ति विपरीत लिंग के प्रति अधिक आकृष्ट होते हैं एवं इन विषयों में दुराचारी और स्वछंद प्रवृति के भी देखे जाते हैं! धन के प्रति लालच एवं अति महत्वकांक्षा भी इनके व्यव्हार व् आचरण में सामान्य है!
इस करण में जन्मे लोग औषधि निर्माण एवं चिकित्सा आदि से जुड़े कार्यों में धन एवं मान सम्मान कि प्राप्ति करते हैं शत्रु से प्रतिशोध प्राप्ति के लिए बुरे से बुरा निर्णय लेने से भी ये कोई दुविधा महसूस नहीं करते!
सामान्यतः इस करण में जन्मे व्यक्ति समाज का विरोध करने में अग्रणी स्वछंद प्रवृति के स्वामी अपने आस पास के लोगों से सम्मान प्राप्त करने के इच्छुक अर्थात चापलूसी को पसंद करते हैं! एवं किसी भी विषय में अतिवादी हो सकते हैं!
शकुनि करण
शकुनि करण ऊपर की स्थिति प्राप्त करने वाला करण है! हल्दी का आलेपन करने वाला, वंध्या अवस्था का एवं वाहन श्वान है!
शकुनि करण में जन्म लेने वाले लोग विवादों को सुलझाने में कुशल होते हैं ये बहुत अधिक बुद्धिमान एवं स्वयं के सहज प्राप्त ज्ञान से शुभ एवं अशुभ समय के भी ज्ञाता होतें हैं! शकुनि करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति को कालज्ञ भी कहा जा सकता है अर्थात जो अपने सहज ज्ञान से अच्छे व् बुरे को पहचानने में सक्षम हो!
इस करण में जन्म लेने वाले लोग सदा किसी न किसी प्रकार से कर्मशील रहतें हैं! समय का सदुपयोग करना इन्हें भली भांति आता है!
इस करण में जन्मे लोगों को औषधि निर्माण आदि का ज्ञान होता है एवं चिकित्सा क्षेत्र में कार्य कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं!
अन्य मत अनुसार शकुनि करण में जन्मे लोग अपने सहज ज्ञान एवं बौद्धिक क्षमता का दुरूपयोग धन एवं मान सम्मान आदि की प्राप्ति के लिए प्रयोग करते हैं ऐसी स्थिति में इन्हें अपने जीवन की तमाम अभिलाषाओं को प्राप्त करने के लिए कई बार बहुत विकट परिस्थितिओं एवं अनायास संघर्ष का सामना करना पड़ता है !
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शकुनि करण होने पर युद्ध सम्बन्धी कार्य, स्वास्थ्य लाभ की इच्छा से औषधि सेवन, एवं शत्रुओं के विरुद्ध सभी कार्य श्रेष्ठ रहते हैं!
चतुष्पद करण
चतुष्पद करण निष्क्रिय अवस्था का करण, लोई आदि का वस्त्र धारण करने वाला, वंध्या अवस्था का एवं वाहन भेड़ है!
चतुष्पद करण में जन्म लेने वाले लोग शुभ संस्कारों से युक्त एवं धर्म कर्म आदि के प्रति आस्थावान होते हैं, ये सर्व शाष्त्र विषारद होते हैं अर्थात ज्ञान की कई विधाओं में पारंगत होते हैं! गुरुजनों एवं श्रेष्ठ जनों के ज्ञान एवं अनुभव से लाभ प्राप्त करते हैं! भाग्य का साथ होने से इन्हें धन, ज्ञान एवं यश सहजता से प्राप्त होता है!
चतुष्पद करण में जन्मे लोग चतुष्पद अर्थात चार पैरों वाले जानवरों एवं सभी पालतू से सुख प्राप्त करतें हैं, इन्हें एक से अधिक वाहनों का सुख भी प्राप्त होता है!
चतुष्पद करण में जन्मे व्यक्ति कृषि कार्यों एवं व्यापार से भी लाभ प्राप्त करते हैं! इस करण में जन्मे लोग सामान्यतः आलस से हीन एवं बली होते हैं
अमावस्या को चतुष्पद करण होने पर तंत्र शास्त्रों के ज्ञाता, तामसिक एवं तंत्र की मारण कर्म पद्धति का प्रयोग सामान्यतः करते हैं!
चतुष्पद करण में चार पैरों वाले पशुओं से जुड़े सभी कार्य शुभ एवं मान्य हैं!
श्राद्ध कर्म यानी तर्पण आदि यदि चतुष्पद करण में किये जाएँ तो विशेष रूप से शुभ एवं मान्य हैं!
नाग करण
नाग करण के बारे में मत है कि ये निष्क्रिय अवस्था का करण है, निर्वस्त्र है, पुत्र संतान आदि से पूर्ण एवं वाहन बैल है!
नाग करण में जन्म लेने वाले लोग धातुओं का विशेष ज्ञान रखने वाले, अर्थात धातु विज्ञानं के विषय में जानकारी रखने वाले होतें है! जलीय क्षेत्रों से लाभ प्राप्त करने वाले, एवं कर्म पर अधिक विशवास रखने वाले होतें हैं, अर्थात कर्म सिद्धांत को भाग्य की अपेक्षा अधिक मानने वाले होते हैं! जीवन में स्वयं के श्रम से विशेष लाभ प्राप्त करते हैं
नाग करण में जन्मे व्यक्ति का जीवन संघर्ष एवं विकट परिस्थितिओं से भरा होता है एवं इन्हें अपने अभीष्ट कार्यों में सफलता प्राप्त करने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है!
नाग करण में जन्म लेने वाले मन एवं नेत्रों से चंचल प्रवृति के होते हैं एवं स्थिरता के आभाव में सफलता मिलना अधिक दुष्कर होता है!
नाग करण का प्रयोग गारुणी विद्या (विषहर विद्या) का ज्ञान रखने वाले लोग प्रायः करते हैं!
इस करण की समय अवधि में किसी भी नवीन कार्य का आरम्भ नहीं करना चाहिए क्योंकि ये करण नए कार्यों का आरम्भ करने के लिए शुभ एवं मान्य नहीं है!
किन्स्तुघ्न करण
किन्स्तुघ्न करण ऊपर की ओर स्थिति प्राप्त करने वाला करण होता है! धानी रंग के वस्त्रों को धारण करने वाला एवम वाहन मुर्गा है!
किस्तुघ्न करण में जन्म लेने वाले लोग सदैव शुभ कार्यों को करने वाले, श्रेष्ठ ज्ञान को प्राप्त करने वाले, श्रम से जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले एवं सुखी जीवन जीने वाले होतें है! मौसम एवं दुष्कर परिस्थितिओं के प्रति सहनशीलता का आभाव भी इनमे दृष्टिगत होता है! इस करण में जन्मे लोग श्रेष्ठ भाग्यशाली होते हैं, एवं सभी प्रकार के लौकिक सुखों को प्राप्त करते हैं! किन्स्तुघ्न करण में जन्मे व्यक्ति के जीवन में किये सभी उद्यम एवं प्रस्ताव भाग्यवश उन्नति प्राप्त करते हैं!
किन्स्तुघन करण में जन्मे लोग अपने वंश विशेषतः पितृ वंश को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने वाले होते हैं, अपने परिवार से विच्छेद या पृथकता की स्थिति में निष्प्रभाव हो जाते हैं, आध्यात्म से जुड़े कार्यों को करना एवं पिता का आशीर्वाद प्राप्त करना जीवन में सभी प्रकार की अभिलाषाओं को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता हैं!
किन्स्तुघ्न करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने कार्य की भांति दुसरो के कार्य को करने वाला, अल्पायु, अभोगी,और एकांतवासी होता है!
जब शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को किस्तुघ्न करण हो, ऐसी अवस्था में सभी प्रकार के थकाऊ एवं कष्टदायक कार्यों को सरलता से संपन्न करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है!
किस्तुघ्न करण सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए मान्य है!