ज्योतिष विधा में अंकशास्त्र का सम्बन्ध ब्रह्मांडीय रहस्य्वाद एवं अंको के आधार पर किसी कालखंड या सामान्य जीवन में होने वाली घटनाओं के मध्य किसी समन्वय के होने से है। जब बात रहस्य्वाद के व्याख्या की आती है तो अंकशास्त्र में शब्दों, नामों में प्रयुक्त अक्षरों की संगठित ऊर्जा र्भी इसी विषय के अंतर्गत अनुसन्धान का एक भिन्न प्रयास है। ऐसे में रहस्य्वाद या ज्योतिष के अंतर्गत आने वाले इस विषय के अनुसंधानकर्ताओं को अंकशास्त्री भी कहा जाता है। अंकशास्त्री होना गणितज्ञ होने से भिन्न है गणितज्ञ विज्ञानं या भौतिकी को विस्तार देने वाले होते हैं, किन्तु अंकशास्त्री यहाँ प्रयुक्त सन्दर्भों के अनुसार रहस्यवाद का विषय है जो अधिकांश भौतिकविदों या खगोलविदों की नज़रो में संदेह का या अतार्किक भ्रम में बने रहने की जिज्ञासाओं का कृत्रिम या छद्म अनुसन्धान है। ऐसे में भिन्न अनुसन्धान या सहज ज्ञान के जरिये अंको की आकृतियों या स्वरूपों का मिलान जीवन में होने वाली घटनाओं से मिला कर देखना कभी भी मुख्य धारा के वैज्ञानिक विमर्श का हिस्सा नहीं हो सकता और जिसकी व्याख्या कुछ नियमों के दायरे से बाहर निकल जाए वो विषय रहस्यवाद में समाहित हो जाते हैं। और इन्ही कारणों से अंकशास्त्र या अंकशास्त्री ज्योतिष की वृहद् संभावनाओं की एक विशेष धारा है।
दुनिया बड़ी तेजी से प्रगति कर रही है और इस प्रगति से प्रभावित नयी पीढ़ी सर्वथा पूर्व पीढ़ियों से योग्य है, कुछ वर्षों का अंतर ही कई बार महत्वपूर्ण अंतर के रूप में दिखाई देता है यदि मानव धीमी गति से चलेगा तो उसकी क्षमताएं भी धीमी पड़ जाएंगी ऐसे में यदि मनुष्य को किसी प्रामाणिक रहस्यवादी पद्धति का सहयोग प्राप्त हो जाए जिससे वो अपने आसपास के परिवेश को थोड़ा सा बेहतर ढंग से जान पाए या जीवन के उस अनियंत्रित बाहरी और रहस्मयी क्षेत्रों के अंतर्गत सन्दर्भों का अनुमान लगाने में सक्षम हो जाए जिसमे वो अपने आसपास की उस रहस्मयी दुनिया या परिस्तिथियों को भी चिन्हित कर सके जो सामान्यतः अबूझ होने के दायरे में बनी रहती हैं ! वैज्ञानिक तरीकों से या तर्कसंगत धारणाओं के आधार पर रहस्मयी दुनिया या रहस्यवाद के अंतर्गत आने वाले विषयों पर तेजी से या जल्दी कोई राय नहीं बनाई जा सकती है किन्तु तमाम रहस्यवादी विषयों के अनुसन्धानकर्ताओं ने अपने वर्षों के अवैज्ञानिक अनुसन्धान या सहज ज्ञान के आधार पर तमाम तरह के प्रतिमान (Pattern’s) अपने अनुसन्धान कार्यों में गढ़ें हैं, और उनके इन कार्यों की श्रृंखला में अंक शाश्त्र एक प्रमुख रहस्यवादी विषय के रूप में हम सबके सामने आया है और संभवतः सामान्य अंकों और उनकी रहस्य्मयी व्याख्याओं की संक्षिप्तता में अंकशास्त्र सबसे सहज और सरल भी जान पड़ता है इसे अंकों का दर्शनशास्त्र भी कहा जा सकता है! इस विषयक्षेत्र के आविर्भाव की प्रारंभिक अवस्थाओं के मतभेद होने के कारण इस विषय के छात्रों के लिए ये आज भी कौतूहल का विषय है! बहुत से अंक शास्त्रियों का मत है के प्राचीन बेबीलोनियन सभ्यता में इस विषय के बारे में प्रमाण मिलते हैं पश्चिम में अंक विज्ञानं का जनक अंकगणित के महानज्ञाता पाइथागोरस को माना जाता है! मिस्र का अंक ज्योतिष ज्ञान संभवतः इस विषय के यूरोपीय ज्ञान से अधिक पुराना है और यहाँ उल्लेखनीय हो सकता है के अंक शाश्त्र के सन्दर्भों की भारतीय वैदिक मान्यताएं मिस्र से भी प्राचीन हो सकती हैं ऐसे में ये विषय संभवतः भारत से मिस्र और अरब होता हुआ यूरोप में पहुंचा था ! प्राचीन ग्रीस के रहस्य्मयी पाइथागोरस जो कि अंकगणित के ज्ञाता थे उन्होंने ५५५ इसा पूर्व के आसपास प्रसिद्धि प्राप्त की थी पाइथागोरस कहते थे कि “विश्व अंको की शक्ति पर आधारित है” आज ये सच्चाई सर्वविदित है बैंक खातें, टेलीफोन अंक, कार, घर, बीमे की पालिसी संख्या, प्रमाण पत्रों की क्रमांक संख्याएँ आदि इत्यादि ये सभी एक तरह की अंक सूचनाएं है इस प्रकार गर्भ से लेकर मृत्यु तक हर समय अंको से मानव प्रभावित होता रहता है!