वैदिक ज्योतिष का ज्ञान ऋषियो मुनिओ द्वारा हजारो वर्षो पूर्व परम्परागत रूप से सहेजा गया है. दुर्भाग्यवश अब उस प्रकार के ऋषि मुनि तपस्वी इस दुनिया में नहीं हैं, और हम लोगो को केवल ऋषियो द्वारा सहेजी गयी मनुस्मृतियों का ही सहारा है! ज्योतिष, वेदों पुराणों की आँखों के रूप में भी जाना जाता है, चाहे वो इसाई श्रद्धा हो, हिन्दू श्रद्धा हो, यहूदी श्रद्धा हो, मुस्लिम श्रद्धा हो, सिख श्रद्धा हो या बुद्धिस्ट श्रद्धा हो, या किसी भी धर्म ,सम्प्रदाय या समुदाय से सम्बंधित हो, सभी धर्म एवं विभिन्न समुदाय परमपिता के प्रति श्रद्धा भाव रखतें हैं ! भले बुरे कर्मों की मान्यता लगभग सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों में है! वैदिक मतानुसार जीवात्मा आकाशीय नियम से अपने कर्मो के अनुसार फल प्राप्त करती है, वेदों के अनुसार ज्योतिष ज्ञान उस आकाशीय या खगोलीय स्तिथि से सम्बंधित है, जब मनुष्य जन्म लेता है, और बदलती हुई आकाशीय परिस्तिथियों के साथ बदलते हुए जीवन में सामंजस्य बनाता हुआ, इश्वर को पुनः प्राप्त होता है! वैदिक ज्योतिष ऋषिओं मुनियों एवं उन सभी तपस्वियों के द्वारा प्राप्त किये सहज ज्ञान एवं अनुसन्धान का फल है, जब समस्त विश्व किसी भी प्रकार के धर्म संप्रदाय आदि में बंधा हुआ नहीं था, इसलिए हमे वैदिक ज्योतिष से प्राप्त ज्ञान को किसी धर्म विशेष के अधिकार से मुक्त मानना चाहिए, अपितु वैदिक ज्योतिष या किसी भी अन्य प्रकार के ज्योतिष ज्ञान से जुड़े अनुसन्धान को किसी धर्म विशेष से न जोड़ कर मानवता के कल्याण का एक साधन मानना श्रेयष्कर होगा!