खाना संख्या दस से बारह
यदि नवां भाव भाग्य स्थान है तो दसवां भाव कर्म स्थान कहलाता है! इस भाव से व्यवसाय, कारोबार,पद,मान सम्मान, तरक्की, उन्नति, कीर्ति, कर्म,व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले कार्य से प्राप्त होने वाला अच्छा या बुरा परिणाम, यज्ञ, उद्द्योग धंधा, व्यापर, सरकार से यश, सम्मान, नौकरी, अधिकार, आचरण, सफलता,सांसारिक गतिविधियाँ, धार्मिक उत्सव, प्रबंध शासन, हुकूमत करना, सरकार, मंत्री, तीर्थ यात्रा लाभ, माता पिता की क्रिया, जज, घुड़सवारी, खेती बाड़ी, गोद लिया पुत्र, नेता, संतान का स्वास्थ्य,छोटे भाई को खतरा, प्रवास, ऋण, तरक्की, पदवी पाना, पितृ सुख आदि का विचार होता है ! इस भाव का प्रभाव विशेष रूप से घुटनों पर होता है।
इस भाव को आय या लाभ स्थान भी कहते हैं! इस भाव से अनेक तरह के लाभ, इच्छापूर्ति, आशा, उम्मीद ,आभूषण, द्रव्य लाभ, हाथी, घोड़े, पालकी, स्थाई मित्र, मित्र सुख, विद्या लाभ, परिवार, रिश्तेदार, दामाद, समाज, मनोकामना, कारोबार, नौकरी लाभ और उन्नति,तरक्की, रोगों से मुक्ति, बड़ा भाई, सोसाइटी, साथी, सलाहकार, अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध, चुनाव, पिता की छोटी यात्रायें, पत्र व्यवहार द्वारा लाभ,सुख, धान्य, शिक्षा का लाभ, ऐश्वर्य, लाभ, सुख संवृद्धि आदि विचारा जाता है! इस भाव का प्रभाव बाएं कान, दाहिने पैर, तथा पिंडलियों पर होता है।
बारहवां भाव ही व्यय स्थान भी कहलाता है। इसी भाव से गुप्त विद्या, अध्यात्मिक विद्या, मोक्ष, दंड, कैद, जुर्माना, शत्रु, खर्चा, हानि, नुक्सान, दान, गृहस्थी पर व्यय, पाखंड, फरेब, गुप्त कार्य, आत्म हत्या, सरकारी सजा, अर्थात राज दंड, सरकारी भय, अथवा संकट, कर्ज ठगी, किसी को घेरना पकड़ना, विघ्न पड़ना, दुःख, धोखा होना, घर से विद्रोह, घर से बाहर रहना, दूर दूर की यात्रा, विदेश यात्रा, दुर्भाग्य, गरीबी, हस्पताल, जेल खाना, पागलखाना, हत्या, बदनामी, बिना मनोरथ इधर उधर घूमना, रात्रि सुख, विश्राम, शय्या सुख, विदेश में जीवन, कुटुंब से अलग होना, हीन भावना, गुप्त दीर्घ रोग, हस्पताल में दाखिल होना, कठिनाइयाँ रुकावटें, रहस्यमय और अनहोनी घटनाएँ, गुप्त योजनायें, खोज, गुप्त विद्या लाभ, पशुओं जानवरों से भय, घर से दूर तरक्की उन्नति, जीवन का अँधेरा हिस्सा, मनमानी करना, हानि झेलना, ब्लैकमेल करना, पत्नी की बीमारी, संतान को रुकावटें तथा अडचने, माता की लम्बी यात्राएं, छोटे भाई का कारोबार, क्रोध भ्रम नौकरी छुटना, राजकीय संकट या भय आदि का विचार किया जाता है! इस भाव का प्रभाव बाएँ कान, आँख, पैर पैर का पंजा उंगली व् तलवों पर होता है।