गूढ़ रहस्यवादी अनुसंधानकर्ता (Esoteric and occult researcher)
ज्योतिष शास्त्र के रचयिता ऋषियों या मनीषियों में से महर्षि पराशर ने चन्द्रमा को ज्योतिष विद्या का कारक ग्रह माना और चन्द्रमा के आकाश में नक्षत्र मंडल के पथ की परिक्रमा में पड़ने वाले सभी नक्षत्रों के कालप्रभाव को मनुष्यों या कुछेक अनुसंधानकर्ताओं के अध्ययन में तो विधि सम्मत इकाइयों में भी हस्तक्षेप को स्वीकारा गया है! ऐसे में अब दुनियाभर में वैदिक ज्योतिष में अनुसन्धान के स्तर पर कार्य करने वाले बहुत से लोगों ने किसी कार्य व्यवसाय में आने वाले उतार चढाव में इन रहस्यमयी प्रभावों को भी सीमाओं में रहते हुए अधिक अनुसन्धान के लिए न्यायोचित विषयवस्तु के रूप में पाया है! वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों के स्वभाव को अब विस्तृत स्वरूपों में भी देखा जाने लगा है! ऐसे में बहुत संभव है की भविष्य व् भूत के गर्भ में छिपे हुए कई तरह के रहस्यों पर केवल प्रकाश डालने वाली ज्योति की सीमाएं महत्वपूर्ण अनुसन्धानकर्ताओं के नेतृत्व में नए तरह के मानकों को इस समुद्र के समान विषयक्षेत्र में आत्मसात कर पाएं! और जब तमाम झंझावातो से भरे जीवनकाल में कोई व्यक्ति ये साहस या उद्यम कर पाता है कि वो ढेरों अन्य विषयों या क्षेत्रों से प्राप्त होने वाले भिन्न सुकून या आत्मिक आनंद को किसी विषयवस्तु या क्षेत्र में अनुसन्धान करने के लिए झोंकी जाने वाली आवश्यक ऊर्जा से सामान्य पाता है! और जीवन की बहुत सी इच्छाओं की तिलांजलि केवल किसी एक महत्वपूर्ण विषय में अनुसन्धान के लिए कर पाता है! एक समय आता है जब उसके पास इस प्रकार के भिन्न अनुसन्धान से सफलता की प्राप्ति भी होती है और यदि वो चाहे तो जिन अवसरों को त्यागने से उसे इस सफलता की प्राप्ति एक समय के बाद होनी ही थी उन अवसरों या इच्छाओं में अपने समय या चिंतन विमर्श का कुछ समय लगा सके, किन्तु अर्थव्यवस्था के एक अत्यंत गंभीर विषय ‘अवसर लागत’ को हमने अपने इस लेख में शामिल यूँ ही नहीं किया है! ज्योतिष में कुछ ऐसे ग्रहों नक्षत्रों के संयोग से कुछेक योग बनते हैं! जिनसे किसी भी व्यक्ति की संभावित आत्मिक इच्छाओं या आवाजों का आशुचित्र (snapshot) प्राप्त हो जाता है! और रहस्यवाद में उस आशुचित्र के साथ जब सामुद्रिक शास्त्रों के प्रकारों से प्रभामंडल (aura) को देखने का सामर्थ्य एकसाथ किसी ज्योतिष अनुसंधानकर्ता के पास संयोग से होता है, तो वो सहजता से जान सकता है कि किस प्रकार कि आत्मिक आवाज या इच्छाओं के वशीभूत फलां व्यक्ति अपने जीवन में आने वाले तमाम अन्य विज्ञापनों या प्रस्तावों को टालने पर मज़बूर हो जाएगा या अस्वीकार कर ही देगा! किन्तु इस तरह से आत्मा की आवाज या सहज ज्ञान तक इस जीवन में किसी व्यक्ति की कितनी पहुँच होगी ये भी रहस्यवाद की एक संक्षिप्त शाखा है! अनुसन्धान में रुचि या अन्य तात्कालिक प्रश्नो या परिस्तिथियों से सामना या कुछेक विषयों के महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित करने के बाद किसी व्यक्ति के सीमित जीवनकाल में विशेष तरह की निर्णय प्रक्रियाएं विकसित हो जाती हैं! जिसे सामान्य भाषा में आस्था या धारणा (belief system) के प्रबल होने से भी जोड़ा जा सकता है! किन्तु किसी अनुसन्धानकर्ता के पास कोई स्थायी धारणा काफी देर तक प्रभाव छोड़ने लायक भी विकसित नहीं हो पाती, और उसके जीवन में वृहद् ज्ञान का सहयोग केवल उसके चुने हुए विषय या क्षेत्र की निर्णय प्रक्रियाओं को विकसित करने के आस पास सिमटा नज़र आता है! किसी विषय क्षेत्र के श्रेष्ठतम अनुसंधानकर्ता जन्म से भी बहुत से गुणों को संभवतः इसलिए धारण किये रहते हैं, क्योंकि उनकी आत्मा की यात्रा में उन विषयों को उन्होंने पूर्व के संचित कर्मो में सघनित किया हुआ है! और उन विषयों के विकास को प्रेरित करने के लिए आवश्यक संभावनाएं उनके जन्म समय में रहस्य वाद के जरिये भी देखी जा सकती हैं! लगभग सभी अनुसन्धान सम्यक विषयों का चुनाव करने वाले व्यक्तियों पर जन्म के समय नक्षत्रो या ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं का एक भिन्न कालप्रभाव मिश्रण होता है, किन्तु अन्य कार्य व्यवसायों से इतर इस लेख में हम केवल ज्योतिष या रहस्यवाद में अतिरिक्त समय या ऊर्जा व्यव करने वाली व्यक्ति की जन्म संभावनाओं को स्थान दे पाने में अभी समर्थ हो पा रहे हैं! भविष्य के लेखों में न्यूनाधिक एक सन्यासी की भांति तमाम रहस्यवादी विषय क्षेत्रो में उलझे अनुसंधानकर्ताओं से इतर अन्य वैज्ञानिक या कलात्मक अनुसंधानों में जीवन ऊर्जा खपा देने वाले व्यक्ति संभावनाओं को भी स्थान दिया जाएगा !
>नवम भाव को परा विद्या की जननी अर्थात आध्यात्म विद्या का कारक भाव भी माना गया है! इसलिए देखने में ऐसा भी आया है नवम भाव में कुछेक ग्रहों की प्रत्यक्ष दृष्टि या शुभ ग्रहों की उपस्तिथि में जातक कुशाग्र बुद्धि (genius) या अन्य शब्दों में विशेष आध्यात्मिकता या रहस्यवाद में रुचि वाले नक्षत्रों के प्रभावक्षेत्र में अंतर्प्रज्ञा संपन्न श्रेष्ठ रहस्यवादी या अनुसंधानकर्ता ज्योतिषी भी हो सकता है!
>इसी प्रकार अष्टम भाव या तृतीय भाव में एवं सामान्य स्तिथियों में पंचम भाव एवं दशम भाव या बारहवें भाव के सहयोग में भी आध्यात्मिकता या रहस्यवाद में तृप्त नक्षत्रों के प्रभावक्षेत्र में आए श्रेष्ठ रहस्यवादी या अनुसंधानकर्ता या ज्योतिषी भी देखें गए हैं!