पूर्णिमा तिथि को सूर्य और चंद्रमा का अंतर १६९ से १८० अंश तक होता है पूर्णिमा के स्वामी चन्द्र देव हैं पूर्णिमा के समय सूर्य और चंद्रमा एक दुसरे के सामने होते हैं अर्थात समसप्तक होतें है यह पूर्णा तिथि है यही तिथि शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि भी है चंद्रमा एवं बृहस्पति के एक ही नक्षत्र में होने पर जो पूर्णिमा होती है उसे महा पूर्णिमा कहते हैं महा पूर्णिमा पर दान एवं उपवास का अक्षय फल कहा गया है महा पूर्णिमा को महाचैत्री, महाकार्तिकी, महापौषी आदि अन्य नामो से भी जाना जाता है! वर्ष में १२ पूर्णिमा होती हैं और हर पूर्णिमा को भारत में कई त्यौहार मनाए जाते हैं पूर्णिमा का भारतीय परिपेक्ष में अत्यंत महत्व माना गया है ! पूर्णिमा तिथि को जन्मे जातक अपने मन में उत्पन्न इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए येन केन प्रकारेण अर्थात साम दाम दंड भेद आदि सभी नीतिओं से अपने कार्यो को पूरा करने की ओर आगे बढतें हैं ! लेकिन ये कहा जा सकता है कि इस प्रकार की जीवन शैली अपनाने के बावजूद इन जातकों के विचार सकारात्मक होते हैं! पूर्णिमा तिथि को जन्मे जातकों के इष्टदेव चंद्रमा हैं इन जातकों को जीवन में परेशानी होने पर दही के दान से लाभ माना गया है !