व्यवसाय किसी भी प्रकार की नशीली अथवा रासायनिक वस्तु एवं चलता फिरता कारोबार, आटोमोबाइल, यातायात, पर्यटन, संगीत, ओपेरा , नाटक कला, पेंटिंग, फोटोग्राफी, चित्रकारी, एक्सरे, तंत्र मंत्र, विद्युत का सामान, काँच बल्ब, ट्यूबलाइट, एयरकंडिशन, सर्जरी के औज़ार, फ़ैन्सी स्टोर, स्टुडियो, बेकरी, मदिरालय, बार परिचारिका कार्य, गैंंग मास्टर, दूधिया, दूध विक्रेता, प्लास्टिक उद्योग, चमड़े का सामान, नक्काशी, रसोइया बटलर, सिल्क कसीदाकारी, उद्घोषक, समारोह प्रमुख व्यक्ति,
राहु के नक्षत्र मे पैदा हुए अधिकांश जातक स्वीकृत ज्योतिष मान्यता के अनुसार स्व्भविक रूप से वीर, नेता स्व्प्नो मे जीवित रहने वाला, भाग्यशाली, क्रोधावेश मे स्वयं की क या घर की हानि करने वाला, स्वतंत्र विचारधारा, उन्नति मे कई बार बाधाओं का शिकार होता है! ऐसा जातक अपनी बात पर हठपूर्वक अड्ने वाला चतुराई से काम निकालने वाला, स्वतंत्र विचारधारा, पुष्ट शरीर तीव्र विचारशक्ति से युक्त और शरीर मे एक बार चोट पाने वाला होता है !
व्रहमिहिर के बृहत जातक के अनुसार स्वाति मे जन्म व्यक्ति शांति एवं विनम्र प्रकृति धारण किए होगा, भावावेश या मनोभावों को नियंत्रित कर पाएगा, किसी कार्यक्षेत्र मे दक्ष होगा, पानी की प्यास सहन करने की क्षमता इनमे भी चित्रा की भांति कम होती है, मृदु भाषी एवं परोपकारी भी होना चाहिए।
यवन जातक के अनुसार ये भावपूर्ण सदाचारी एवं प्रतापी होते हैं। व्यवसायिक गतिविधियों मे दक्ष, कहीं कहीं वासनामयी प्रवृति, प्रसिद्ध व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति जिसके पास किन्ही विषयों का प्रचुरता मे ज्ञान हो। आत्म संयत एवं शिक्षित भी होते हैं।
तैत्रेय ब्राह्मण के अनुसार स्वाति का आधिपत्य वायु देव के पास है इसमे छितराव या प्रकीर्ण करने का सामर्थ्य जिसे प्रधवांसा शक्ति कहते हैं, इसका ऊपर की ओर आधार दिशाओं मे बहते रहना, इसका नीचे की ओर आधार गठन या आकृति मे परिवर्तन होना है। स्वाति नक्षत्र वस्तुस्तिथियों मे बदलाव और छितराव का परिचायक भी है, यदि हम इसकी ऋणात्मकता को नियंत्रित करना न सीख लें तो ये नक्षत्र विध्वंशक परिणाम भी दे सकता है, उपरोक्त गुण मुख्यतः वायु के ही हैं और हम जानते हैं कि वायु मे विध्वंश के साथ आरोग्य के भी गुण विद्यमान हैं।
स्वाति व्यष्टिभवन को व्यक्त करता है जो समूह से भिन्नता या एकांत में रहने की वरीयता को दर्शाता है। व्यष्टिभवन को अपने मार्ग में आगे बढ्ने के लिए पर्याप्त स्वतन्त्रता की आवश्यकता होती है तो इसलिए ये समूह से विरक्ति का चयन करता है।
जब स्वाति अपने मूल स्वभाव में फलित होता है तो ये भिन्न या दूर नए आयामों में ले जाकर व्यक्ति को उसकी पूर्व की विसंगतियों से मुक्त करता है
शनि मंगल राहू केतू सामान्यतः दुष्कर ग्रहों या सूचकों की श्रेणी में आते हैं किन्तु स्वाति में विश्राम प्राप्त करते हैं मंगल की एकात्मक प्रवृति से हम पहले ही परिचित हैं, शनि को वायु तत्व से जोड़कर देखा जाता है और कहीं कभी किन्ही केन्द्रीय शक्तियों द्वारा आए दबाव को शनि ऊर्जा द्वारा भी मान्यता प्राप्त होते हुए नहीं देखा गया है। इन सभी सूचक ग्रहों में से कोई भी ग्रह यदि स्वाति की परिधि में आता है तो अभिप्रायपूर्ण व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है और अपनी सांस्कृतिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि की सामूहिक समझ या दायरे से भिन्न किसी नए आयाम में उन्नति या प्रगति को प्राप्त करता है।
स्वाति अप्रासंगिक आत्म प्रेरित आत्म बोध के मार्ग पथ पर बढ्ने वालों का साथ देता है और साझेदारी या सांगठनिक एकता में बाधा उत्पन्न करने वाली ऊर्जा हो सकती है। इस प्रकार शुक्र बुध जैसे सूचक आकाशीय पिंड यहाँ सामाजिक और रूमानी रिश्तों में संघर्ष महसूस कर सकते हैं। चन्द्र विशेषतः पारिवारिक रिश्तों में असहजता को इंगित करता है।
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