विशाखा
नक्षत्र स्वामी बृहस्पति
नाड़ी अन्त्य योनि व्याघ्र
व्यवसाय अंतराष्ट्रीय संस्थाओं से संबद्ध रखने वाला, सरकारी कर्मचारी, साझेदारी अथवा भागीदारी से लाभ प्राप्त करने वाला, अध्यापक प्रोफेसर, ग्रंथकार, पत्र सम्पादक, संसोधक, आलोचक, राजनीतिज्ञ, मंत्री, सलाहकार, यात्रा एजेंट, टुरिस्ट ऑफिसर, शिपिंग हवाई यात्रा, विदेशियों से संबंध, बैंकर, बैंक कर्मचारी, भवन निर्माता, फल उद्द्यान, कंपनियों का डाइरेक्टर, निदेशक जज, औडिटर, मुख्यध्यापक, फ़िजीशियन, उत्पादन कर्ता, रंगीन कागज, सिनेमा प्रचार विज्ञापन, स्लाइड, अभिनेता, बहुमूल्य, वस्त्राभूषण, टकसाल प्रकाशन, तरल अथवा मीठे पदार्थ स्वागतकर्ता, उदघाटन कर्ता, महा विद्यालय वाइस चान्सलर, अभिनयकर्ता, बृहस्पति के नक्षत्र भाग मे पैदा हुए अधिकांश मध्यस्था!
व्रहमिहिर के बृहत जातक के अनुसार लोभी, ईर्ष्यालु, भद्र, बोलने मे चालाक, झगड़ालू, और धन उपार्जन के माध्यम बनाने मे कुशल।
यवन जातक के अनुसार ये जातक अनेक भाषाओं मे दक्ष, शत्रुजयी, आत्म संयमी, इंद्रिय निग्रही, धनी एवं कृपण होते हैं।
तैत्रेय ब्राह्मण के अनुसार विशाखा नक्षत्र का आधिपत्य इंद्र एवं अग्नि के पास है, जिनके पास दहक ताप एवं आसमानी बिजली का अधिकार क्षेत्र है, इसमे व्यापना शक्ति विद्यमान है, जिसके माध्यम से विभिन्न तरह के कर्म क्षेत्रों मे फलों को प्राप्त करने का सामर्थ्य दिखाई दिखाई देता है। इसका ऊपर की ओर आधार हल जोतना या खेत की जुताई है, नीचे की ओर इसका आधार फसल प्राप्त करना या फसल की कटाई है। इंद्र और अग्नि देव इस नक्षत्र मे कृषि वाणिज्य आदि के देवता हैं, जो ऋतु वर्षा एवं ताप के द्वारा प्राप्त लंबी या उपयुक्त अंतराल मे प्राप्त फलों को इंगित करते है। विशाखा नक्षत्र समय रहते प्रचुरता मे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का साहस और सामर्थ्य प्रदान करता है।
जैसे कोई किसान खेत मे बीज रोपण करता है और पर्याप्त समय के व्यतीत हो जाने के पश्चात फसल की प्राप्ति करने मे स्वयं को सक्षम पाता है ठीक उसी प्रकार ये नक्षत्र तात्कालिक कर्म फलों की प्राप्ति का परिचायक न होकर लंबे समय मे कर्म फलों की प्राप्ति का संदेश देता है।
विशाखा में शाखा के अर्थ टहनी या डाली ये एक कुछ ऐसी चीज़ को इंगित करता है जो अपने समूह से बिलकुल या बहुत हद तक भिन्न हो ये भी हो सकता है के वो पेड़ या समूह की शाखा एक संयोजक के रूप में दो टहनियों में कोई जोड़ हो। वर्षा और आग दो एकदम विपरीत बातें हैं और विशाखा इस संदर्भ में वहाँ है जहां ये जुड़ती हैं एक जोड़े की तरह और एक दिखाई पड़ती हैं।
विशाखा शब्द का प्रयोग धनुर्धारी या तीरंदाज़ के मन की उस अवस्था की व्याख्या करने के लिए भी किया जाता है जब वो अपने मन को किसी एक लक्ष्य पर साधता है और स्वयं का ध्यान तनिक भी कहीं दूसरी ओर भटकने नही देता और इस तरह की वस्तुस्थिती पहली दृष्टि में विशाखा है जो धनुर्धारी और लक्ष्य के मध्य संबंध को इंगित करती है। विशाखा दो लोगों के मध्य एक जोड़ या मध्यस्थ की भूमिका को भी दर्शाता है ये उस लक्ष्य को भी दर्शाता है। विशाखा नक्षत्र लक्ष्य आधारित साझेदारी की परिकल्पना सा है जो आतुर रहता है उनसे जुडने या संबंध बनाने के लिए जिनके पास संपत्ति संसाधन एवं गुण हैं जो विशाखा स्वयं में कमी महसूस करता है और ये इन सम्बन्धों से लाभ उठाने में भी आतुर ही पाया जाता है अतः ये इस तरह की भावनाओं के वशीभूत स्वयं को संघर्षरत पाता है। अच्छी स्थिती में विशाखा अपने साथी साझेधार सहयोगियों के साथ निष्ठा दिखाता है और समन्वय के क्षेत्र में कुशाग्र बुद्धि दो भिन्न ऊर्जा या व्यक्तित्वों को जोड़ने में सफल होता है। और यदि सूर्य और शनि से प्रभावित है तो लंबे समय की प्रतिबद्धता के साथ व्यवहार करता है यही बात बुध और शुक्र के लिए भी कही जा सकती है हालांकि शुक्र के कारण इसमे कामुकता के व्यवहार का आधिक्य भी देखा जा सकता है। किन्तु यदि विशाखा अच्छी स्थिती में नही है तो साझेदारी बीच में तोड़ने की प्रवृति दूसरे साझेदारों के शोषण की वृति या साझेधारी में किसी एक के शोषण की संभावना होती है यहाँ मंगल चंद्र और राहू केतू सूचक ग्रहों की अप्रत्याशित ऊर्जा इस तरह के स्वभाव को बढ़ावा देने वाले हो सकती है। बृहस्पति इस नक्षत्र में सामान्य व्यवहार अधिक संताने और कहीं कहीं निर्लज्ज धूर्त होने की संभावना को भी प्रदर्शित करता है। कुलमिलाकर इस नक्षत्र को विपरीत और भिन्न लोगों के मध्य साझेदारी की संभावनाओं को प्रकट करता है जैसे जल वर्षा और अग्नि इसे स्त्री पुरुष के जोड़े की सूचना या सूचक के रूप में भी इस तरह संदर्भित किया जा सकता है कि जल स्त्री शक्ति की सूचना देता है और अग्नि पुरुष शक्ति की भावना को इंगित करता है। विशाखा से हम ये भी जान सकते हैं भिन्न या विपरीत व्यक्तित्वों में साझेदारी तभी संभव होती है जब वो साझेदारी में शामिल सभी लोगों के लिए समान फलदायी हो