चंद्रमा के नक्षत्र मे पैदा हुए रोहिणी जातक अधिकांशतः स्वच्छताप्रिय, असत्यवादी, भ्रम गढ़ने वाले, संगीत मे रुचि रखने वाले सामाजिक क्षेत्र मे सफल, यात्री, प्रसन्नचित, भूत प्रेतों मे अत्यधिक विश्वास करने वाले हो सकते हैं, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सम्मान के उच्चाकांक्षी, इस नक्षत्र मे पुरुष जातक कई बार विषय वासनाओं मे अधिक लिप्त पाये जा सकते हैं, भौतिक सुखों की कामना करने वाले, मधुरभाषी, सामाजिक कार्यों मे रुचि रखने वाले एवं कृषि कार्यों मे कुशल हो सकते हैं, संगीत प्रेमी एवं कवि हृदय भी हो सकते हैं, सौम्य धारण करने वाले भी हो सकते हैं, माता पिता के प्रिय होते हैं! इस नक्षत्र की स्त्रियाँ सुंदर सुशील गृहणी स्थूल देह वाली पतिप्रिय हो सकती हैं! परिवार मे अपने मधुर स्वभाव के कारण आदर पाने वाली भी होती हैं! धन्य सम्पन्न एवं श्रेष्ठ संतानों से युक्त होती हैं, सत्य धर्म पर विश्वास करने वाली एवं सार्वजनिक कार्यों मे रुचि के कारण सर्वप्रिय भी हो जाती हैं! इस नक्षत्र के अंतर्गत आने वाले कार्य व्यवसाय अग्रलिखित हैं जैसे, होटल रेस्तरां , बेकरी , छात्रावास व्यवस्थापक, बार रेस्तरा, आराम गृह, आवास विक्रेता, भूमि फल, आटोमोबाइल, पेट्रोल, तेल, दुग्ध, डेरी फार्म, शीशा, प्लास्टिक, सुगंधि, साबुन, चन्दन , तेल ,तरल विक्रेता, नेवी शिपिंग, निकासी एजेंट, जज, राजनीतिज्ञ, चर्मकार, सूत विक्रेता, रेडीमेड वस्त्र उद्योग, चीनी गन्ना व्यवसाय, भूगोल तथा पांडित्य कर्म॥
नभोमण्डल मे रोहिणी () के अंतर्गत पाँच तारे सदृश हैं, इसको काल्पनिक रेखा से आपस मे मिलाएँ तो बैलगाड़ी की आकृति बनती हुई कुछ प्राचीन मतानुसार ज्योतिष का अनुसंधान करने वाले विद्वानो को आज भी सही जान पड़ती है, इस नक्षत्र मे पड़ने वाले पांचों तारों मे सबसे नीचे पड़ने वाला एक तारा अपेक्षाकृत अधिक चमक के साथ दृष्टिगोचर होता है। सम्पूर्ण रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि मे पड़ता है और सूर्य इस नक्षत्र से लगभग २४ मई के आसपास संचरण करते हैं॥
रोहिणी शब्द का आविर्भाव एक मिलते जुलते शब्द रोहन से भी देखा जा सकता है, जिसका अर्थ होता है उदय होना या प्रकट होना, भारत मे सनातन धर्म के मिथिकीय संदर्भ रोहिणी को चंद्रमा की प्रियतमा पत्नी के रूप मे देखते हैं, उल्लेखनीय है के इन्ही मिथिकीय संदर्भों मे चंद्रमा की सत्ताईस पत्नियों को ख्यापित किया गया है, अर्थात नक्षत्र शृंखला के ज्योतिष मे प्रयोग होने वाले सामान्यतः सभी सत्ताईस नक्षत्र जिनसे चंद्रमा का गोचर होता है, उन्हे मिथकों मे चंद्रमा की पत्नियों के रूप मे स्वीकार कर उनका नामकरण होने का अंदाज़ हम लगा सकते हैं, रोहिणी नक्षत्र मे चंद्रमा उच्च के माने गए हैं, रोहिणी को वस्त्र प्रसाधनों और भव्यता का प्र्संशक स्वीकार किया गया है,
रोहिणी नक्षत्र मे जन्म जातक सत्य वक्ता, दूसरे की सम्पत्ति वस्तु आदि को सर्वथा त्याज्य भाव से देखने वाला, मृदु भाषी, सुशील आचरण, स्थिर बुद्धि, और श्रेष्ठ धार्मिक या नैतिक गुणों को धारण करने वाला होता है।
सभी प्रकार के सुखों को अनुभव करने वाला, कुशाग्र बुद्धि,
रोहिणी नक्षत्र के देवता प्रजापति हैं, इस नक्षत्र मे रोहण शक्ति अर्थात आगे बढ्ने की शक्ति और क्षमताओं को दर्शाता है, इसका आधार ऊपर पौधे और नीचे की ओर पानी है, रोहिणी नक्षत्र हर स्तर पर रचना करने के या उपजाऊ प्रकृति को भी व्यक्त करता है। इतना सब होने पर भी कहीं कहीं ईर्ष्यालु होने को भी इंगित करता है, संभवतः ये एकाध ऋणात्मक तथ्य या दुष्प्रभाव हैं, इसके अतिरिक्त ये नक्षत्र सर्वांग समृद्धि के सूचक की भांति देखा जाता रहा है, प्रजापति देवता को मिथिकीय संदर्भों मे रचने वाला कहा गया है, अर्थात ये कुछ भी रच सकते हैं, अतः अपनी इच्छाओं के प्रति सावधानी भी इस नक्षत्र के लिए एक तथ्यपरक सूचना की तरह ले सकते हैं, ये एक स्थिर नक्षत्र माना गया है, ऐसे मे रोहिणी नक्षत्र होने पर कूप या कुंवा खोदने या किसी भवन, संस्थान के निर्माण की नींव आदि के कार्यों को शुभ माना गया है, पेड़ लगाना पौधरोपण करना, तिलक करना जैसे कार्य, भूमि खरीद, बीज की बुआई जैसे कार्य, मंदिर आदि या धार्मिक स्थल की नींव, और इसी तरह के अन्य शुभ और सराहनीय कार्य जिनके लंबे समय तक स्थिर रहने की कामना हो।
इस नक्षत्र के देवता प्रजापति हैं यदि इस शब्द को विच्छेद कर इसके अर्थों को देखें तो प्रजा के माने उत्पत्ति प्रजनन उत्पादन आदि एवं अपति का अर्थ वर्धमान या आगे की ओर बढ्ने से लिया जा सकता है इस प्रकार रोहिणी एक सृजनशील जननक्षम उत्तेजित करने में सक्षम नक्षत्र है रोहिणी का स्वागत हर उस जगह किया जाता है जहां नव सृजन की आकांक्षा कभी की जा सकती है।
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