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रेवती

व्यवसाय – प्रकाशक, संपादक, धार्मिक कार्य करने वाला, कानून, सिविल इंजीन्यरिंग, लोक निर्माण, शेयर विक्रेता, विज्ञान प्रचार, प्रैस समाचार पत्र, प्रचारक, स्टेनो, स्वागतधिकारी, टेलीफोन आपरेटर, खजांची, अकाउंटेंट, संचार नियंत्रण, संचार केंद्र, वकील, न्यायधीश, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ, राजदूत प्रतिनिधि, रेडियो, करेंसी, अंतराष्ट्रीय व्यापार, संदेशवाहक, दूतावास, आडिटर,ट्रस्टी, गवर्नर, उपकुलपति, विश्वविद्यालय कर्मचारी, रोजगार कार्यालय, काव्य लेखक, आबकारी बन्दरगाह, पोर्ट ट्रस्ट, पंडित मौलवी, ग्रंथी पुरोहित, दर्जी, कूटनीतिज्ञ, अध्यापक, प्रवक्ता, उद्घोषक, दलाल, बैंक कर्मचारी, हास्यकार, व्यंग्य लेखक, फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ, ज्योतिषी, हस्तरेखा विशेषज्ञ, आबकारी विभाग, 

बुध के नक्षत्र मे पैदा हुए अधिकांश जातक प्राच्य ज्योतिष के अनुसार विद्या प्रेमी एवं गुणवान माने जाते हैं! ऐसे मनुष्य सरल स्वभाव के परंतु बुद्दि से काम न करने वाले तर्क करने मे निपुण, संशयी मनोवृति के होते हैं, इनमे आध्यात्मिक शक्ति का एकाएक विकास होता है, मित्रों द्वारा ऐसे जातक लाभ प्राप्त करते हैं! जीवन मे ख्याति अर्जित करने की प्रबल इच्छा वाले ऐसे जातक सामाजिक कार्यों अथवा लेखन आदि मे भी सफलता प्राप्त करते हैं!

सूर्य इस नक्षत्र पर प्रतिवर्ष चैत्र मास के अंतिम तेरह दिनो के लगभग रहता है, जबकि चंद्रमा प्रति सत्ताइसवें दिन एक दिन के लिए इस नक्षत्र पर भ्रमण करता है!॥ १९८

व्रहमिहिर के बृहत जातक के अनुसार रेवती नक्षत्र मे जन्म परिपक्व अंगों का सूचक है, प्रसिद्धि एवं धन धान्य युक्त के साथ ही साहसी और विद्वता का भी परिचायक है। 

यवन जातक के अनुसार ये व्यक्ति मनोहर सभी सुखों को सहज प्राप्त करने वाले अध्ययनशील ओजस्वी एवं अहंकारयुक्त भी देखे जाते हैं इन्हे विदेश मे प्रवास करते भी देखा जाता है। तैत्रेय ब्राह्मण के अनुसार रेवती नक्षत्र का आधिपत्य पुषन देव जो सूर्य देव का एक अंशावतार हैं के पास है इसका दूध द्वारा या दूध से पोषण की शक्ति का वर्णन या प्रतीकात्मकता भी दर्शायी जाती है अतः इसमे   क्षीरद्यापनी शक्ति का वास है। इसका ऊपर की ओर आधार गाय हैं और नीचे की ओर आधार बछड़े का जन्म या बछड़ा है। रेवती नक्षत्र धन धान्य की प्रचुरता पोषण के द्वारा उत्पन्न करता है, ये सभी लोगों को उनके उपक्रमों मे पर्याप्त सहायता भी प्रदान करता है। पुषन को गाय भैंस बैल आदि एवं मार्ग का देव कहा जाता है, जो इन जानवरों के झुंड को इकट्ठा एवं नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार ये आत्मन की रक्षा एवं उसके लिए आगे के मार्ग या दूसरे लोक का पथ प्रदर्शित करने मे सहायक नक्षत्र देव हैं।

नोट ….ये लेख अभी पूर्ण नही है इस ब्लॉग पर उपलब्ध कुछ पन्नो को अतिरिक्त सम्पादन की आवश्यकता है अतः सम्पादन कार्य पूर्ण होने पर वो पुनः  यहाँ उपलब्ध होंगे  ….. ये एवं अन्य ऐसे ही लेख केवल ब्लॉग टेस्ट की अपेक्षा से अभी यहाँ मौजूद हैं।

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