भरणी १३.२० कला से
प्रचलित अँग्रेजी तारा समूह नाम (41Arietis)
मेष राशि नक्षत्र स्वामी शुक्र योनि गज
नाड़ी मध्या, गण मनुष्य.
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इस नक्षत्र मे जन्म की एक व्याख्या अनेक व्यवधानों के बाद लक्ष्य को पा लेने वालों के रूप मे भी की जा सकती है। इससे इतर ये धूम्रपान मद्यपान आदि के शौकीन भी हो सकते हैं, अचानक शत्रु षडयंत्रो को विफल करने की काबिलियत, कला फोटोग्राफी एवं धार्मिक कार्यों मे रुचि भी रखते हैं। दृढ़ निश्चयी साहसी और शत्रुओं को नीचा दिखाने मे प्रवीण भी हो सकते हैं। कुसंगति लंपटता, निम्न स्तर के कार्यों मे संलग्न रहने के कारण अनेक प्रकार की बाधाओं को व्यर्थ ही अपने समक्ष खड़ा पाते हैं। लोभ और स्वार्थ के कारण लाभ की अपेक्षा हानि की प्रबलता रहती है। सुखाकांक्षा व्यसनों मे लिप्त रहने को प्रेरित करती है। कठोर निर्दयी होना बेफिक्री आदि भी आपके स्वभाविक गुणो या अवगुणो की सूची मे सम्मिलित है। एक समय अचानक हृदय परिवर्तन के कारण विपरीत दिशा मे दोलित हो जाते हैं। यदि आप स्त्री हैं, आप जिद्दी हो सकती हैं, शत्रुओं से अनायास भी प्रतिशोध की भावना आपके मस्तिष्क मे घर कर सकती है। लोभ स्वार्थ कुसंगति के कारण कई तरह की हानि भी इस नक्षत्र के व्यक्तियों मे देखी जाती है। खानपान की लापरवाही के कारण स्थूलता आ सकती है, मनोरंजक एवं ललित कलाओं मे आपकी रुचि हो सकती है, सामाजिक कार्यों मे हिस्सा लेने के कारण आप जनप्रिय भी हो सकते हैं। इससे इतर कोई भी ग्रह जब इस नक्षत्र से गुजरे तो भी व्यक्ति कथित ग्रहों के भावानुसर फल प्राप्त करेगा इस नक्षत्र के अंतर्गत आने वाले कार्य व्यवसाय अग्रलिखित हैं जैसे, मनोरंजक एवं आनंददायक कार्यों से धन प्राप्त करने वाला, खेलकूद संगीत वाद्य यंत्र आदि का शौकीन, कला प्रदर्शनी, प्रचार कार्य करने वाला, चाँदी के बर्तन, सिल्क, चलते फिरते कार्यालयों तथा कौस्तुक भंडारों का कर्मचारी , पशुपालन, पशुचिकित्सक, कसाईखाना, बाग बगीचों का संरक्षक, भोजन व्यवस्थापक या भोजनालय आदि का व्यवसाय करते हुए इन नक्षत्र वालों को पाया जा सकता है।
नक्षत्र मण्डल मे भरणी (…) के हिस्से मे भी तीन तारों का एक छोटा सा त्रिकोण है, खगोल विद्या के जानकारों के अनुसार इस त्रिकोण के तीनों तारे एरीटीज ४१ ,३९ एवं ३५ क्रमांक के नामों से स्थापित हैं। भरणी नक्षत्र मण्डल भी मेष राशि मे पड़ता है, सूर्य इस नक्षत्र मण्डल मे लगभग २७ २८ अप्रैल के मध्य मे प्रवेश करता है।
तमाम कार्यों मे सफल सत्यवान, रति क्रिया मे दक्ष, समान्यतः उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त जीवन, भाग्यशाली अपने हाथ मे लिए हुए कार्यों मे दक्ष, भरणी नक्षत्र यम देवता के आधिपत्य मे आता है, जो सनातन धर्म की मान्यताओं मे मृत्यु के देवता माने गए हैं। इस नक्षत्र मे वस्तुस्थिती, कार्यों एवं परिस्तिथियों को दूर कर देने या छीन लेने की क्षमता भी होती है, जिसे अपभरणी शक्ति के नाम से जाना जाता है। अन्य शब्दों मे भरणी नक्षत्र वो सब दूर करने या छीन लेने के बाद उसे नयी परिस्तिथियों मे पहुंचाने का सामर्थ्य भी रखता है, जिसका समय पूरा हो गया है या जो वस्तुस्थिती आदि अपनी पूर्णता को प्राप्त कर चुकी है। ये नक्षत्र शरीर से आत्मा की सतत यात्रा को भी दर्शाता है, यम आत्म्न का निर्देशन आगे की ओर करते हैं।
वर्तमान खगोलीय ज्ञान सीमाओं में भरणी नक्षत्र को 3 तारों के संयोग में बताया गया है, भरणी ज्वलित नक्षत्र है, वैदिक ज्योतिष में अग्नि के कई प्रकार हैं भरणी उनमे से परावर्तित शुद्धता को प्राप्त अग्नि का एक प्रकार है जो अग्नि के जलने या आरंभ मे प्रकट होती है। जो जातक इस नक्षत्र में जन्मे हैं किसी वस्तुस्तिथ में राज करने की आकांक्षा एवं तीव्र इच्छा रखते हैं। एकाध ज्योतिषीय मत या मतांतर हैं कि ये नक्षत्र आत्मिक नैतिकता और आत्मिक स्वछंदता के बीच दोलन करता है।
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एक ज्योतिषीय मत मतांतर के अनुसार भरणी नक्षत्र में जन्म के कारण व्यक्ति को दूसरों की पीड़ा दुख क्लेश का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही इनमे उपभोग और विलासिता की प्रवृति को भी वो मत व्यक्त करता है। इसी तरह ये मत भी है कि ये जातक जिन्हे पसंद नही करते या जो लोग इनके लिए अप्रिय होते हैं उनकी समृद्धि को छीनने की एक विचित्र प्रवृति और आकांक्षा भी इनमे हो सकती है।
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