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धनिष्ठा

व्यवसाय लोहार, बर्तन बनाने वाला शिकारी खान अथवा मिट्टी से संबन्धित कार्यों मे सफल इंजीनियर मृत्युकर विभाग अन्त्येष्टि क्रिया सामग्री विक्रेता, संपत्ति कर, पशुपालन, आवास प्राधिकारी धर्मशाला कर्मचारी, ठग, डाकू हत्यारा, बीमाकर्ता, दार्शनिक, साधु सन्यासी, काफी हाउस, कसाई खाना कर्मचारी, हड्डीरोग विशेषज्ञ, अस्थि सर्जन, पुनर्वास विभाग, शरणार्थी कैंप, उद्योग औज़ार स्पोर्ट्सपार्ट्स, डिस्टिलरी, मदिरा उद्योग, जिंक सीमेंट, मौसम विज्ञान गाड़ीवान, झगड़ा विवाद निर्णय, निरीक्षक जासूस, पुलिस विभाग भेदिया, जूट जौ आलू आदि का व्यापारी कृषि चाय कोयला लोहा, स्टील प्लांट, विस्फोटक, अन्वेषक, इंजीनियर फाउंडरी खनन धातु मशीन तेल बाढ़ कार्य पुनर्वास, आपातकालीन भूकंप सेवा आदि, शवदाह क्षेत्र, खंडहर, वास्तुकला ठेकेदार, टेलीविजन दूरभाष, एक्सपोर्ट इम्पोर्ट, लैब असिस्टेंट, विष नशीली वस्तुएं, सिल्क , ताला चाभी,बर्तन विक्रेता, क्लर्क, टाईपिस्ट, कम्प्युटर संगणक, टाइमकीपर, निरीक्षक 

मंगल के नक्षत्र मे पैदा हुए धनिष्ठा जातक उसी प्रकार अदूरदर्शी, उन्नति के कार्यों मे बाधा पाने वाले, गरीब, श्रम से ऊंचा उठने वाले, स्त्री प्रेमी, ईमानदार, स्वच्छ वस्त्रधारी, क्रोधी अभिमानी, उन्नति की आकांक्षा रखने वाले, लोहे के कार्यों से लाभ उठाने वाले, तथा मारपीट मे नुकसान उठाने वाले होते हैं!    

उतरार्ध मे पैदा हुए जातक अधिकांशतः हृष्ट पुष्ट एवं मजबूत शरीर के श्वास रोगी, अधिक कन्या संतति वाले, आजीविका के क्षेत्र मे भाग्यशाली, एवं व्यस्त मनोवृति के माने जाते हैं! २१०

व्रहमिहिर के बृहत जातक के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र मे जन्मे व्यक्ति की संगीत मे रुचि, साहसी, उदार एवं धनी होता है। 

यवन जातक के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र का जातक कृपण, नृत्य एवं संगीत एवं विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण, व्यसनरत, वीरता, वैभवशाली एवं प्रतापी होता है। तैत्रेय ब्राह्मण के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र का आधिपत्य वासु देव के पास है, जो विपुलता के देवता हैं,इसमे ख्यापित्र शक्ति का वास है, इसका ऊपर की ओर आधार जन्म है, एवं नीचे की ओर आधार समृद्धि है। इंका समनव्य लोगों को एकजुट करने की शक्ति का बोध देता है। धनिष्ठा लोगों के द्वारा संचित संसाधनो को एक जगह जुटाने का सामर्थ्य है। इस क्रम मे ये नक्षत्र श्रवण नक्षत्र के लोगों के पंथ या मार्ग को जोड़ने के कार्य को और अधिक व्यवहारिक स्वरूप प्रदान करता है। वासु देव भूमि पर विपुलता को संभव करने वाले हैं, ये अग्नि देव की अभिव्यंजना या अभिव्यक्ति भी हैं, जिनके पास बाहुल्य वितरित करने का सामर्थ्य है। 

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