अश्विनी 0 अंश से १३.२० अंश कला तक
प्रचलित अँग्रेजी तारा समूह नाम (Beta Arietis)
राशि: मेष
नक्षत्र स्वामी: केतू
योनि: अश्व
नाड़ी: आद्या
गण: देव
पंचभूत तत्व: पृथ्वी
वर्ण: ब्राह्मण
प्रतीक चिन्ह: घोड़े का सिर
प्रतिकात्मक पक्षी: बाज या चील
प्रतिकात्मक वृक्ष: कजरा / कुचला
केतू के इस नक्षत्र में जन्मे अधिकांश जातक विचारशील अध्ययनशील अध्यापन अथवा शिक्षाप्रद कार्य करने वाले ज्योतिषी वैद्यक आदि शास्त्रों मे रुचि रखने वाले, लेखक ईमानदार, चंचल प्रकृति के, भ्रमणप्रिय हो सकते हैं। ईश्वरभक्त एवं रहस्यमयी विद्याओं के ज्ञाता भी हो सकते हैं। अध्ययन मे ये भी दृष्टिगत होता है के इस नक्षत्र मे जन्मे जातक मूर्तिपूजा आदि मे भी अपेक्षाकृत अधिक विश्वास नहीं करते हैं। इस नक्षत्र से प्रभावित व्यक्ति जनप्रिय, महत्वाकांक्षी एवं स्वतंत्रता प्रेमी भी होते हैं, लालची होते हुए भी ईमानदार देखे जाते हैं। अचल संपत्ति के बारे मे अन्यत्र चिंतित रहते हैं। स्त्रियाँ कुशल गृहणी होने व अपने सहयोगी व्यवहार के कारण परिवार मे आदर पाती हैं। इस नक्षत्र के अंतर्गत आने वाले व्यवसाय अग्रलिखित हैं, जैसे कारखाने से जुड़े रोजगार, पुलिस , सेना, चिकित्सा, शल्योपचार, बंदीगृह से जुड़े कार्य, न्यायलय, रेलवे ,मशीनरी एवं लोहा आदि से जुड़े अन्यत्र कार्य, संग्राहलय, पुस्तकालय एवं पुस्तक व्यवसाय, घोड़ों का व्यापारी, खुदाई पर्यवेक्षक, संस्थाओं का नेतृत्व, प्रधान, सम्मानित अध्यक्ष आदि। नाड़ी पद्धति के अनुसार कोई भी ग्रह जब इस नक्षत्र से गुजरे तो भी व्यक्ति उपस्थित ग्रहों के भावानुसर फल प्राप्त करेगा। सूर्य इस नक्षत्र पर प्रतिवर्ष वैसाख के आरंभ मे लगभग सवा तेरह दिन के लिए भ्रमण करता है, जबकि चंद्रमा प्रति सत्ताईसवें दिन इस नक्षत्र पर विद्यमान रहता है। आश्विन मास की पूर्णिमा को इस नक्षत्र पर चंद्रमा का गोचर रहता है।
अश्विनी नक्षत्र से प्रभावित व्यक्ति साज सज्जा का शौकीन, सुंदर प्रसिद्ध बुद्धिमान कुशल आभूषणों का शौकीन विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण, इसके इतर शीघ्र व्यापिनी शक्ति प्राप्त ये नक्षत्र अश्विनी कुमार जुड़वा देवताओं के आधिपत्य को भी दर्शाता है जिन्हे सभी देवताओं का वैद्य या चिकित्सक माना गया है….
इस नक्षत्र की आरोग्यकारक क्षमता का अंदाज इनमे विद्यमान तीव्रता से भी लगाया जा सकता है, अश्विनी कुमार को प्राणो की शक्ति या प्राण शक्ति भी कहा गया है, जो इस नक्षत्र के कार्यों की संचालक ऊर्जा है, जो आरोग्यता एवं नवीन कार्यों की दिशा मे सहायक एवं गतिवान है, नक्षत्र का चरित्र तीव्र और सरल है जो यात्राओं के लिए आरोग्य के लिए आभूषण निर्माण के लिए विद्या प्राप्ति के लिए वाहनो के क्रय विक्रय के लिए, खेलकूद के लिए, साज सज्जा और कलात्मक कार्यों के लिए, ऋण आदि के व्यवहार के लिए
अश्विनी नक्षत्र मण्डल में शेरटन या बीटा अरिएटिस (Beta Arietis) मेसारथिम या गामा अरिएटिस (Gamma Arietis) ये दोनों तारे एक दूसरे के नजदीक दिखाई देते हैं इन्हे भारतीय मिथकों में देव वैद्य अश्विनी कुमारों के रूप मे मान्यता प्राप्त है
दो घोड़े भी अश्विनी नक्षत्र के प्रतिकात्मक चिन्ह हैं। इसके अतिरिक्त स्त्री के प्रजनन तंत्रिका को भी अश्विनी का प्रतीक कहा गया है।
हमाल अश्विनी नक्षत्र मण्डल में सबसे चमकीले तारे के रूप में जाना जाता है जिसे अल्फा अरिएटिस के नाम से जाना जाता है, प्राचीन ज्योतिषीय मान्यता है के ये राम का माथा है जबकि शेरटन और मेसारथिम मेष के बाएँ सींग के पथ प्रदर्शक हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार सूर्य इस नक्षत्र मण्डल मे १३ से १४ अप्रैल को भ्रमण प्रारम्भ करता है॥
हमाल शब्द की व्युत्पत्ति अरबी के रस अल हमाल से हुई है जिसका अर्थ राम या मेष राशि के प्रतिकात्मक मेख का सिर है, हमाल की पृथ्वी से दूरी करीब 66 प्रकाश वर्ष है हमाल को परिवर्ती राशि चर या परिवर्तनीय तारे के रूप में शृंखलाबद्ध किया गया है क्योंकि इसके प्रकाश में परिवर्तन दिखाई देना सामान्य है।
हमाल संतरे रंग का एक तारा है जोकि सूर्य से करीब 15 गुना है खगोलविदों ने ये पाया है कि बृहस्पति से दोगुना एक पिंड हमाल की परिक्रमा करता है।
शेरटन शब्द मूलतः अरबी के अस सरतन से आया है जिसके माने हुए दो संकेत बिन्दु या दो निशान ये पृथ्वी से करीब 59 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्तिथ है।
जबकि मेसरथिम पृथ्वी से करीब 164 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्तिथ है इसे भी हमाल की भांति चर या परिवर्तनीय तारे की भांति देखा जाता है। मेसरथिम को एक प्राचीन या चिरप्रतिष्ठित तारे के रूप मे मान्यता प्राप्त है, इसके हिस्से गामा 1 गामा 2 समान रूप से प्रकाशमान हैं।
पूर्ववर्ती समय में घोड़े यातायात के जरूरी साधन थे जिनको युद्ध से लेकर सामान ढोने के लिए उपयोग मे लिया जाता था, ये हजारों वर्षों से मानव की सेवा मे रत हैं किन्तु पूरी तरह मानव प्रजाति द्वारा नियंत्रित या मातहत में नही कहे जा सकते हैं।
नक्षत्र शृंखला का पहला तारा होने के नाते अश्विनी शुरुआत या किसी वस्तुस्तिथी एवं कार्य के आरंभ के रूप में देखा जाता है। अश्विनी में कार्यआरंभ की ऊर्जा है अर्थात जो इस नक्षत्र में जन्मे हैं उनमे किसी कार्य या रचनात्मकता को गति देने की काबिलियत है। क्योंकि अश्विनी तीव्रता का प्रतीक चिन्ह है तो जातक किसी वस्तुस्तिथी पर त्वरित प्रतिकृया देने के लिए पहचान प्राप्त कर सकता है, ये स्पष्टवादिता ईमानदारी या एक स्पष्टवक्ता का रवैया अपना सकते हैं इन कारणो से अश्विनी जातक अप्रत्याशित व्यवहार करते पाए जा सकते हैं। अश्विनी नक्षत्र जातक आत्म निर्भरता आत्म सम्मान को अपने जीवन में अधिक वरीयता दे सकते हैं, ऐसा संभवतः इसलिए भी हो सकता है क्योंकि भीड़ से भिन्न या अलग दिखने की जन्मजात आकांक्षा इनमे निहित होती है, या ये अपनी कार्य सफलता आदि में किसी तरह से किसी अन्य को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहते या सफलता असफलता में बाहरी हस्तक्षेप इन्हे अधिक प्रिय नही है, इस प्रकार समाज में कभी कभी ये अधिक आत्म केन्द्रित नज़र आ सकते हैं । किसी कार्य लक्ष्य एवं साझा लक्ष्यों के प्रति भी इनमे एक तरह की स्पष्टता या दूरदर्शिता देखने को मिलती है, इसी तरह लक्ष्यों के प्रति आवश्यकता पड़ने पर त्याग के भाव इनमे विद्यमान होते हैं।
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