ज्योतिष में लेखन रोजगार या व्यवसाय कैसे पहचाने !?
यहाँ सबसे पहले लेखन से जुड़े रोजगार व्यवसाय का चयन इसलिए ठीक पाया गया, क्योंकि इस रोजगार या व्यवसाय में मुझे सबसे अधिक विरोधाभास व एक प्रकार की विडंबना का दर्शन हुआ
जैसे लगभग सभी पढ़े लिखे लोग कुछ न कुछ लिखते ही हैं, जैसे निबंध लेखन परीक्षा पत्र या आवश्यकता पड़ने पर किसी अन्य व्यक्ति से किसी भी माध्यम से किया गया संवाद जैसे वर्तमान समय में निजी पत्रों के आभाव में इन्टरनेट पर कमेंट या मोबाइल पर मैसेज आदि, किन्तु क्या हम इन विषयों को लेखन से जुड़े व्यवसाय या रोजगार से जोड़कर देख सकते हैं, यहाँ हम ऐसे लिखे जाने वाले निजी लेखन कार्यों को रोजगार / व्यवसाय से जोड़ कर नहीं देख सकते!
अपितु लेखन से जुड़े कार्यों को ढेरों प्रकार की लेखन चेष्ठाओं या प्रयासों में विभक्त किया जा सकता है जैसे तकनीकी लेखन आदि ..
पर इन सभी लेखन कार्यों को लेखन तभी कहेंगे जब इनके प्रयोग से चाहे धन का आगमन क्रमिक हो या एकमुश्त हो या उस लेखन कार्य से धन के आगमन की सम्भावना भी हो व भाग्यवश लेखक को जीवनकाल में धन की प्राप्ति न भी हो, बल्कि बाद में लेखक से वसीयत में किसी अन्य को रॉयल्टी आदि के रूप में प्राप्त हो, या किसी भी प्रकार से लेखक का कार्य सामजिक संपत्ति बनने के लायक हो!
यहाँ मैंने जीवनकाल की सीमा को इसलिए साझा किया है, क्योंकि कई बार कुछ लेखन कार्यों में समय अधिक लगता है, या लेखक के जीवन में उतार चढाव अधिक होतें है, ऐसे में इस प्रकार के कार्यों को भी लेखन के रोजगार विषय से यहाँ जोड़ना चाहिए, क्योंकि कई बार ऐसे लेखकों का पूरा जीवन उनके निजी उसूलों व लेखन कार्य से जुड़े उन्माद में व्यतीत हो जाता है, ऐसे में कोई लेखक अपनी आत्मा से जिन कहानियों, कविताओं या अन्य प्रकार के अनुभवों को निकालना चाहता है, उसके लिए लेखक का उन्मादी होना परम आवश्यक गुण है!
आइये अब ज्योतिष व अन्य भाग्य पद्धतियों के माध्यम से जानते हैं, कि लेखन का रोजगार व्यवसाय किस प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है!?
यहाँ दो प्रकार के लेखकों में इस विषय को विभक्त करना श्रेयस्कर रहेगा, जैसे पहले प्रकार में सीमाओं में रहकर उन्मादी होना इसमें लेखक के निजी जीवन व सामजिक जीवन रोजगार आदि में समन्वय दृष्टिगत होता है
दुसरे केवल लेखन के प्रति अति उन्मादी होना व जीवन के कुछ हिस्सों को लेखन व विचारों के प्रवाह से निम्न या शुन्य महत्व देना!
जैसा कि हम लोग जानते हैं कि लेखन कार्यों का सम्बन्ध मन से होता है और ज्योतिष में चंद्रमा का सम्बन्ध मन से भी हैं, यहाँ ये जानना जरूरी है कि लगभग सभी चन्द्र राशियों में लेखन कार्यों को देखा जा सकता हैं, किन्तु कुछ अन्य अति महत्वपूर्ण ग्रहों, नक्षत्रों आदि किसी राशि या भाव में होना उनका दृष्टि सम्बन्ध और भी महत्वपूर्ण हो जाता है
जैसे चंद्रमा किसी भी राशि में हो किन्तु यदि प्रथम द्वितीय तृतीय चतुर्थ अष्टम या नवम भाव में हो तो लेखन से जुड़े व्यवसाय को देखा जा सकता है इसके अतिरिक्त अन्य ग्रहों का सहयोग भी देखा जाएगा जैसे बुध सूर्य शुक्र आदि! कुछ अन्य बड़े व धीमे ग्रह जैसे बृहस्पति शनि को भी देखा जाएगा!
यदि जन्म कुंडली में इन ग्रहों की दृष्टि या विशेष संयोग होता है तो व्यक्ति का लेखन में रोजगार व्यवसाय संभव होता है!
यहाँ संक्षेप में रहते हुए यही कहना चाहूँगा कि उपरोक्त स्तिथि के अतिरिक्त उन्माद के लिए राहु की दृष्टि संयोग आदि भी देखना चाहिए
किन्तु केवल लेखन के प्रति अति उन्मादी के लिए शनि व बृहस्पति का स्थान भाव दृष्टि व संयोग भी देखा जाएगा ये ग्रह व्यक्ति से हर हालात में लेखन करवाएंगे ऐसा व्यक्ति श्रेष्ठ लेखन के उन्माद को तपस्या की भांति भी लेगा व ऐसे व्यक्ति का शरीर अकर्मण्यता का छलावा दे सकता है किन्तु इनका दिमाग सर्वदा कार्य में लगा रहेगा!
यहाँ तांत्रिक ज्ञान के आधार पर एक टिप्पणी भी की जा सकती है, कि कुछ ऐसे कार्य जिन्हें सूक्ष्म जगत एक परिवर्तन के रूप में संपन्न करना चाहता है, ऐसे कार्य में लेखन तपस्या में रहने वाले लोगों को सूक्ष्म जगत के हस्तक्षेप का भी अनुभव होता है! जैसे किसी विषय पर विशेष चिंतन की आवश्यकता होने पर कभी कभार दिन में भी कुछ मिनटों के लिए एक धीमी नींद का अनुभव, जिसमे उस तथाकथित विषय पर कोई नया असंभव जान पड़ने वाले विचार का प्राप्त होना!?
स्मरण रहे धीमी नींद ब्लड प्रेशर के लो होने के समान या ब्लड सूगर के लो होने के समान का अनुभव होता है, किन्तु इस प्रकार के प्रेरणादायी अनुभव को सूक्ष्म जगत से संपर्क या केवल अंतर्ज्ञान कह कर भी टाला जा सकता है! किन्तु मेडिकल स्तिथि व इस प्रकार के हस्तक्षेप में फर्क केवल इतना ही है, कि केवल धीमी नींद ही नहीं अपितु ऐसे अनुभव ज्ञान से भरे होते हैं, जो लक्ष्य पूर्ण होने पर नींद की तत्काल समाप्ति भी कर जाते हैं, किन्तु मेडिकल अवस्था खराब होने पर ऐसी नींद ५ मिनट से अधिक व बिना विषय या प्रश्न के उत्तर के बिना केवल नींद मात्र ही होगी!ज्योतिष में ऐसी अवस्था के ढेरों संकेत होते हैं, और व्यक्ति के ऐसे अनुभवों को जन्म कुंडली, हस्तरेखा व इसी प्रकार भाग्य से जुड़े अन्य शास्त्रों से भी देखा जा सकता है और यदि जन्म समय सही है तो आप किसी भी लेखन कार्यों से जुड़े व्यक्ति की कुंडली का अध्य्यन करवा सकते हैं और हैरान हो सकते हैं कि ज्योतिष भी एक प्रकार का विज्ञान हैं!