विष्कुम्भ योग
विष्कुम्भ योग में जन्म लेने वाले लोग आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। इस योग में जन्म लेने वाले लोगों को सामान्यतः आर्थिक विषमताओं का सामना कम ही करना पड़ता है, एवं ये आर्थिक रूप से भाग्यशाली होते हैं, इस योग में जन्मे लोग प्रायः चिकित्सा एवं औषधि विज्ञानं से जुड़े कार्य करते देखे जाते हैं। विष्कुम्भ योग में जन्मे व्यक्ति प्रायः सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त करने वाले होतें है, इनके मित्रवत व्यवहार से अन्य लोगों पर इनका एक विशेष प्रभाव पड़ता हैं, इस प्रकार इनके मित्रों की संख्या अधिक होती है, शत्रुओं पर इनका प्रबल प्रभाव होता है। इस योग में जन्मे व्यक्ति को अपने जीवन काल में खून की अशुद्धि से जुड़े रोगों का सामना भी करना पड़ सकता है। किसी बात एवं समस्यां के प्रति त्वरित चिंतन मनन कर अपनी राय बना लेना भी इस योग में जन्मे लोगों का एक गुण होता है। इस योग में जन्मा व्यक्ति अपने परिवार के प्रति सदा समर्पित देखा जा सकता है। इस योग में जन्मे व्यक्ति को वाहन एवं धन का सुख प्राप्त होता है। इन्हें इनके सहज ज्ञान से भविष्य में होने वाली कुछ घटनाओं का पूर्वाभास भी हो जाता है। कई बार इनका रुझान अभौतिकवादी, ईश्वरीय या अदृश्य परा शक्तिओं से जुड़े ज्ञान की ओर भी हो जाता है, और ये इनके लिए चुनाव व संशय की स्तिथि होती है। विष्कुम्भ योग में जन्मे जातक की पहचान, उनकी आगे की ओर झुक कर चलने की सामान्य आदत से भी की जा सकती है।
प्रीति योग
प्रीति योग में जन्म लेने वाले लोगों में दयाभाव की प्रधानता होती है। एवं दीन दुखियों के प्रति इनका ह्रदय सामान्य से अधिक संवेदनशील होता है। इस योग में जन्म लेने वाले लोग अपने आसपास के वातावरण में अनुकूलता की अभिलाषा रखतें है ,और ऐसी स्तिथि प्राप्त होने पर सुख व् संतोष का अनुभव करते हैं।
मनमोहक एवं सुन्दर प्रतीत होने वाले भौतिक सुखों के प्रति इनका आकर्षण जीवन पर्यन्त विद्यमान रहता हैं, एवं ये इनसे अपना मोह त्यागने में अपेक्षाकृत अधिक कष्ट का अनुभव करते हैं।
इस प्रकार प्रीति योग में जन्मे लोगों का भौतिक वस्तुओं एवं सुखों को अधिक मान्यता प्रदान करना, इनके स्वभाव का एक प्रबल गुण है। प्रीति योग में जन्मे लोगों का भौतिक सुखों के प्रति ये आकर्षण एक प्रकार से सुखों की तीव्र इच्छा के वशीभूत मतान्ध बना देता है, एवं भविष्य में निर्मित होने वाली स्तिथियों के प्रति अधिक न सोचते हुए, तात्कालिक सुखों को भोगने की इच्छा भी, प्रीति योग में जन्मे लोगों में दृष्टिगत होती है।
इस योग में जन्मे लोग जिज्ञासु प्रवृति होते हैं। धन की महत्वकांक्षा इस योग में जन्मे जातकों में बहुत तीव्र होती है। अन्य शब्दों में धन (भौतिक सुख) से इन्हें अपेक्षाकृत विशेष प्रीती होती है। इस प्रकार धन एवं सम्मान से जुड़े विषयों में स्वयं के स्वार्थ को सिद्ध करने का एक भौतिक गुण भी इनमे विद्दमान होता है।
प्रीति योग में जन्मे लोगों में विपरीत लिंग के प्रति एक विशेष प्रकार का आकर्षण होता है, जो कई बार इन्हें मानसिक रूप से अत्यंत कष्टकारी मानसिक परिस्तिथि में भी पहुंचा देता है।
प्रीति योग में जन्मे जातक जिस प्रकार भौतिक आकर्षण के वशीभूत हो, अपने जीवन के सामान्य निर्णय लेतें है, उसी प्रकार ये अपनी अभिलाषाओं के वशीभूत अनायास ही ऐसे लोगों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बना लेते हैं, जो इन्हें विपरीत या विनाशकारी परिस्तिथि में छोड़ चले जाते हैं। इस प्रकार अधिक से अधिक लोगों की चिंता एवं परेशानी को अपनी परेशानी मानकर उन समस्याओं एवं चिंताओं का अधिक से अधिक समय चिंतन इन्हें मानसिक रूप से बीमार बना सकता है, या सिर में दर्द इत्यादि परेशानियों का अनुभव भी इन्हें करना पड़ता है। ध्यान रहे प्रीती योग में जन्मे साधु स्वभाव लोग भी इस योग के प्रभाव को स्वीकार करते हैं।
आयुष्मान योग
आयुष्मान योग को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से आशीर्वाद स्वरूप देखा जा सकता है
इस योग में जन्मे लोगों को आयु एवं मान सम्मान के विषय में विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आयु के विषय में सूर्य व् चंद्रमा से बने इस योग को एक शुभ योग के रूप में ज्योतिषीय मान्यता प्राप्त है, अर्थात ज्योतिष में इस योग में जन्मे व्यक्ति के विषय में पूर्ण आयु एवं भौतिक सुखों की मान्यता है।
आयुष्मान योग में जन्मे व्यक्ति का आशीर्वाद अन्य लोगों को शुभ फल प्रदान करने वाला है।
सामान्यतः सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त करना भी इस योग से देखा जाता है।
इस योग में जन्मे लोगों की साहित्य एवं संगीत आदि में विशेष रूचि दृष्टिगत होती है। इस योग में जन्मे लोग शत्रुजयी भी होते हैं।
सौभाग्य योग
सौभाग्य योग में जन्मे लोगों पर इस योग के प्रभाव अनुसार गुणों को देखा जा सकता है, एवं इन्हें सौभाग्यशाली समझा जाता है। इस योग में जन्मे लोगों में अच्छे संस्कारों का अनुभव किया जा सकता है। सौभाग्य योग में जन्मे लोगों को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक अवसर प्राप्त होते हैं एवं बहुत से अवसरों का लाभ इन्हें अवश्य प्राप्त होता हैं। इस योग में जन्मे व्यक्ति अच्छे भोज्य पदार्थों के प्रति विशेष रूचि रखते हैं। जीवन में बहुत सा समय अपने जन्म स्थान से दूर या यात्राओं में व्यतीत करते हैं। कई बार विपरीत लिंग के प्रति इनमे अति आकर्षण अपेक्षाकृत अधिक देखा जा सकता है। सौभाग्य योग में जन्मे व्यक्तियों में कई प्रकार के जन्मजात गुण दृष्टिगत होते हैं एवं इस प्रकार ये अपने इन गुणों के लिए समाज में प्रशंशा के पात्र भी होते हैं।
शोभन योग
शोभन योग में जन्मा व्यक्ति अपेक्षाकृत सुन्दर स्वरूप एवं आकर्षक होता है। किसी भी कार्य को ये पुरे मन से संपन्न करते हैं, अर्थात किसी भी कार्य को अपने हाथ में लेतें हैं, तो उसे आवश्वक समर्पण भाव एवं मेहनत से संपन्न करना इनकी प्राथमिकता होती है। इनको जीवन साथी के रूप में सुन्दर एवं आकर्षक साथी की प्राप्ति होती है।
शोभन योग में जन्मे लोग अपनी संतान की और से सौभाग्यशाली होते हैं, एवं इन्हें अच्छे गुणों एवं अच्छा आचरण करने वाली संतान की प्राप्ति होती है। इस योग में जन्मे लोग कला एवं सौन्दर्य के प्रेमी होते हैं। शोभन योग में जन्मे लोगों में सामान्यतः विपरीत लिंग की ओर आकर्षण अपेक्षाकृत अधिक होता है। इस प्रकार जीवन में कई बार इन्हें कामांध हो कर कुमार्ग पर भी जाते हुए देखा जा सकता है। लड़ाई झगड़ों एवं युद्ध में इनकी विशेष रूचि सामान्यतः दृष्टिगत होती है।
अतिगण्ड योग
वैदिक ज्योतिष में अतिगण्ड योग की अशुभ योगों में मान्यता है। सामान्यतः अतिगण्ड योग में जन्मे लोग सिनेमा, संगीत, एवं अन्य मनोरंजक विधाओं की ओर अधिक आकृष्ट होते हैं एवं विशेष रूचि रखतें हैं।
अतिगण्ड योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को यदि जन्म समय जन्म कुंडली में अन्य शुभ योगों का सहयोग प्राप्त हो रहा है, तो बुरे प्रभावों में कमी एवं शुभ फलों में वृद्धि देखी जा सकती है, अन्यथा इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व के विषय में माना जाता है, कि अतिगण्ड में जन्मे व्यक्ति का व्यवहार इस प्रकार का होता है, जिससे इनके परिवार के सम्मान को क्षति होती है। इस योग में जिन लोगों का जन्म होता है, उनकी माता को दुखों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतिगण्ड में गण्डान्त योग निर्मित होने पर जन्म लेने वाला व्यक्ति पाप कर्मो को विशेषतः हिंसक कर्मो को करने वाला हो सकता है। अतिगण्ड योग में जन्मा व्यक्ति आसानी से किसी के भी प्रभाव में नहीं आते, अर्थात जब ये कोई धारणा बना लेतें हैं तो उससे मुक्त होना नहीं चाहते। इस प्रकार इस योग में जन्मे कुछ लोगों के स्वभाव में बदला लेने की प्रवृति भी दृष्टिगत होती है। इनकी लड़ाई झगड़ो एवं हिंसक प्रवृतियों से न्याय प्राप्त करने की एक भ्रामक मनोस्तिथि होती है। इस योग में स्तिथियाँ कठिन होने पर अर्थात कठिन समय में ओर बिगड़ते देखी जा सकती हैं। इस प्रकार कुछ विशेष परिस्थितिओं को छोड़कर अन्य अवस्थाओं में ये योग, अधिक बुरे या ऋणात्मक परिणामो को प्राप्त करने वाला योग हैं।
सुकर्मा योग
इस योग में जन्म लेने वाले लोग शुभ एवं अच्छे कर्मों को करने वाले, एवं धार्मिक व् आध्यात्मिक स्वभाव को धारण करने वाले होते हैं। सुकर्मा योग में जन्मे लोग सरल स्वभाव एवं अच्छी सोच के धनी होते हैं।
इस योग में जन्मे लोग सभी लोगों के प्रति आत्मीय भाव रखने वाले होतें है,एवं लोगों के प्रति दया भाव व् संवेदनशीलता इनमे अधिक होती है। सुकर्मा योग एक प्रकार से भव्य भाग्य का निर्माण करने वाला योग है। इस योग में जन्मे लोग सरल स्वभाव के धनी, किसी भी कार्यक्षेत्र में किसी भी पद पर कार्यरत हों, अपने कार्यों के प्रति सदैव समर्पण का भाव इनमे विद्दमान रहता है। धन की अपेक्षा ये स्वभाव से दानी एवं पवित्र आत्मा के धनी होते हैं। ये विशेष रूप से गुणवान एवं सामान्य जन में आदर एवं सम्मान का पात्र समझे जाते हैं। सुकर्मा योग में जन्मे लोग सभी प्रकार के भौतिक सुखों को भोगने वाले होते हैं।
धृति योग
धृति योग में जन्म लेने वाले लोगों में संयम एवं धैर्य की अधिकता होती है इस योग में जन्मे लोग शांतचित होतें है, एवं किसी भी विषय पर शीघ्र उत्तेजित नहीं होते, बल्कि शांत मन से विचार कर निर्णय लेते हैं। इस योग में जन्मे लोगों को स्वास्थ्य लाभ होता है एवं ये जीवन में सामान्यतः स्वस्थ ही रहते हैं। धृति योग में जन्मे लोग ज्ञानवान सरल स्वभाव एवं गुणवान होते हैं। इस योग में जन्म होने से धनवान एवं भौतिक सुखों से पूर्ण जीवन की आशा की जा सकती है। इस प्रकार ये समाज में उच्च स्थान एवं सम्मान अवश्य प्राप्त करते है।
अन्य ज्योतिषीय दृष्टिकोण अनुसार इस योग में जन्मे लोगों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता हैं, एवं ये सभी प्रकार के वैज्ञानिक आविष्कारों में अधिक रूचि रखतें है। इस योग में जन्मे लोगों के संवाद में लुभाने वाली कला होती है। ये स्थिर मष्तिष्क के स्वामी होते हैं, एवं सभी परिस्थितिओं में अपराजेय अनुभव करते हैं। अतिथि बनना इन्हें प्रिय है, अर्थात ये स्वयं की आवभगत कराने में विशेष तृप्ति का अनुभव करते हैं। दूसरों का धन इन्हें प्रिय है, अर्थात इस योग में जन्मे लोग दूसरों के धन पर बुरी दृष्टि रखते हैं। दूसरों के जीवन साथी के प्रति ये अपेक्षाकृत अधिक आकर्षण का भाव रखते हैं, अर्थात इस योग में जन्मे लोग दूसरों या अन्य लोगों के पति या पत्नी के प्रति बुरी दृष्टि रखते हैं।
शूल योग
शूल योग जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि शूल अर्थात कांटे, इस प्रकार इस योग में उत्पन्न लोगों के जीवन में शूल के समान दर्द अवश्य प्रतीत होता हैं, सामान्यतः प्रारंभिक जीवन से अनुमान लग जाता है कि स्तिथियाँ बहुत अच्छी नहीं होने वाली, ऐसी स्तिथि में भी मध्य प्रारंभिक जीवन इनका सामान्य रूप से सुखद रहता है, एवं इन्हें मित्रों का सुख एवं प्रारंभिक शिक्षा अवश्य प्राप्त होती है, किन्तु स्तिथियाँ बदलती हैं, एवं कांटे दिखाई देने लगते हैं।
इस योग में जन्मे लोगों का शारीरिक रूप से गठन अच्छा होता है, एवं ये सामान्यतः कसरती या हष्ट पुष्ट शरीर के स्वामी होते हैं, इस प्रकार शारीरिक क्षमता जीवन में आगे आने वाली समस्याओं को झेलने में इन्हें लाभ प्रदान करती है, इस योग में जन्मे लोग प्रखर बुद्धि एवं विस्तृत चिंतन के स्वामी होते हैं, इस प्रकार इनका जीवन धार्मिक ग्रंथो के अध्ययन एवं गहन आध्यात्मिक ज्ञान कि प्राप्ति करने में सक्षम होता है, कई बार ये आध्यात्मिक एवं धार्मिक अनुष्ठानो का ज्ञान भी रखतें हैं, इनके पास आध्यात्मिक ज्ञान के साथ ही धन प्राप्त करने के लिए आवश्यक व्यापारिक ज्ञान भी होता है, किन्तु ये व्यापार के भ्रष्ट माध्यमो से दूरी बनाते हैं, इस प्रकार का जीवन एवं नैतिक मूल्य होने पर भी इन्हें जीवन में कई कष्टों एवं निकट सम्बन्धियों के द्वारा छल कपट का सामना करना ही पड़ता हैं, जो संभवतः प्रारब्ध से सम्बंधित है। सभी प्रकार के सम्बन्धी एवं विशेषतः मातृपक्ष द्वारा इनके पिता के परिवार के प्रति अनावश्यक शत्रु भाव इन्हें प्रारंभिक क्षति पहुंचता है। इस प्रकार धीरे धीरे ,सभी सम्बन्धियों की ओर से इर्ष्या एवं छल कपट को देखकर, इनका सम्बन्धियों एवं अन्य लोगों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन होता रहता है, एवं आसानी से कोई भी व्यक्ति इस स्तिथि का आकलन नहीं लगा पाता, बल्कि संशय से भरा होता है, इनकी जीवन शैली इनके मित्र, शत्रु सभी के लिए भ्रामक स्तिथि उत्पन्न करने वाली होती है, कई बार तो इनका व्यवहार मनोवैज्ञानिको को भी भ्रम में डाल देता है।
कई प्रकार के घात एवं लोगों के द्वारा छल कपट को सहन करने के पश्चात इस योग में जन्मे लोगों में लगभग सभी शत्रुओं को प्रत्युतर देने की क्षमता एवं शक्ति सदैव होती है। शक्ति एवं सामर्थ्य होने पर भी सामान्यतः ये लोग दृष्टिकोण रखतें है, कि इन के जीवन में सभी दुखों एवं कष्टों का कारण कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि इनका स्वयं का प्रारब्ध है, इस प्रकार सामान्यतः मित्रों एवं शत्रुओं से समभाव रखते हुए ये लोग जीवन यात्रा को साक्षी भाव से देखतें हैं।
ध्यान रहे भौतिक सुख इस योग में घटित होते हैं, तो केवल सन्यास का माध्यम बनकर।